जम्मू—कश्मीर में आतंकवाद कहीं फिर से सिर न उठाए, इसका खतरा काफी दिनों से महसूस किया जा रहा है। लेकिन अब एक और वजह पता चली है जो इस कयास को थोड़ी हवा देती है। वहां गुपचुप सक्रिय एक जिहादी गुट विलायाह हिन्द के तार आईएस से जुड़ते दिख रहे हैं। उसकी तरफ से इस अंतरराष्ट्रीय जिहादी गुट के नए सरगना को बाकायदा समर्थन जताना बड़ी गंभीरता से देखा जा रहा है।
वैसे विलायाह हिन्द इस्लामिक स्टेट नाम के आतंकी गुट के कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों का ही माना जाता है। इन्होंने आईएस के नए ‘खलीफा’ अबू अल हुसैन अल हुसैनी अल कुरैशी के प्रति अपनी वफादारी खुलकर दिखाई है। आतंकी गुट विलायाह हिंद के जिहादियों की आईएस के नए जिहादी सरगना के साथ फोटो का सामने आना इन कयासों को बल देता है। रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि हो सकता है, ये गुट घाटी में अपनी उपस्थिति दर्शाने के लिए दहशत फैलाने वाली हरकतें करे।
इस्लामी
इस्लामिक स्टेट दुनिया का सबसे क्रूर इस्लामी जिहादी गुट माना जाता है। इसके सरगना अबू हसन अल हाशिमी के मरने पर अल हुसैनी अल कुरैशी इस गुट का नया सरगना बना है। उसके लिए अपना समर्थन देने के लिए विश्व भर से इस्लामी जिहादी आईएस के अड्डे पर पहुंच रहे हैं। इसीलिए भारत में कश्मीर में आतंकी हरकतें करने वाला इस्लामी जिहादी गुट विलायाह हिंद भी सक्रिय हुआ है और नए ‘खलीफा’ को अपना समर्थन दिखाने इसने अपने कुछ जिहादियों को भेजा है। इतना ही नहीं, इन आतंकियों ने इस्लामिक स्टेट और उसके नए सरगना के प्रति अपनी वफादारी और समर्थन की खुलकर घोषणा की है।
कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराया गया इस्लामी जिहादी सोफी भी करीब दस से ज्यादा साल से आईएस के साथ गठजोड़ किए था। तब कई लोगों को लगा था कि शायद कश्मीर में सोफी अकेला जिहादी था जिसके आईएस से तार जुड़े थे। लेकिन अब लगता है ऐसा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इस्लामिक स्टेट यह घोषणा कर चुका है कि उसके सरगना अबू हसन अल हाशिमी की लड़ते लड़ते मौत हो चुकी है। उसके बयान में कहा गया, ‘अल्लाह के दुश्मनों के साथ जंग में अबू हसन अल हाशिमी की मौत हो गई’। अल हाशिमी इराकी था। यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि अब इस आतंकी गुट की उतनी पकड़ नहीं रही है। 2014 में यह बहुत तेजी से उभरा था लेकिन उसके बाद से इस्लामिक स्टेट का दबदबा खत्म होता जा रहा है।
अल हुसैनी अल कुरैशी के इस्लामिक स्टेट की लगाम थामने के बाद, नए सरगना को अपना समर्थन जताने गए विलायाह हिंद के जिहादियों ने एक तस्वीर जारी की है और कहा है कि ‘उन्होंने नए खलीफा के साथ हाथ मिलाने की कसम खाई है’। भारत के रक्षा वैज्ञानिक जानते हैं कि इस्लामिक स्टेट ने भारत के लिए भी समय समय पर जहर उगला था और जम्मू—कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की धमकी भी दी हुई है।
आईएस के ये आतंकी कश्मीर में सुरक्षाबलों पर हुए कई हमलों में शामिल माने गए हैं। बताया यह भी जाता है कि आईएस ने कश्मीर में अपनी जिहादी शाखा को ही ‘विलायाह ऑफ हिंद’ नाम दिया हुआ है। इस गुट के जिहादियों ने ही शोपियां और अन्य जिलों में भारतीय जवानों पर हमले करकेे कई की हत्या की है। विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि आईएस भारत में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है इसलिए उसने कश्मीर में अपनी शाखा खड़ी की है। ये इस कोशिश में है कि कश्मीर में इराक तथा सीरिया जैसे हालात बना दे। श्रीलंका में भी ईस्टर के दिन हुए बम धमाकों में इसी गुट का हाथ था। उस जिहादी घटना में करीब 253 लोग मारे गए थे।
कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराया गया इस्लामी जिहादी सोफी भी करीब दस से ज्यादा साल से आईएस के साथ गठजोड़ किए था। तब कई लोगों को लगा था कि शायद कश्मीर में सोफी अकेला जिहादी था जिसके आईएस से तार जुड़े थे। लेकिन अब लगता है ऐसा नहीं है। आईएस के नए सरगना के आने और उसे समर्थन की घोषणा करके विलायाह हिन्द ने दर्शाया है कि नासूर अभी मिटा नहीं है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां इन घटनाक्रमों पर बारीक नजर रख ही रही हैं। लेकिन इस बात का खतरा बना ही हुआ है कि आईएस की यह शाखा अपने नए जिहादी सरगना को खुश करने के लिए घाटी में कोई बड़ा उत्पात मचा सकती है।
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