झारखंड पुलिस पर आरोप है कि उसने मंत्री आलमगीर आलम और हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को मारपीट के एक मामले में बिना जांच आरोपमुक्त कर दिया। अब ईडी ने संबंधित डीएसपी को पूछताछ के लिए बुलाया।
झारखंड में जिसकी लाठी उसी की भैंस वाली कहावत चल रही है। सत्ताधारी नेता और उनके करीबी अपने तरीके से हर व्यवस्था चलाना चाह रहे हैं। इसमें सारा सरकारी तंत्र भी खुलकर उनका सहयोग कर रहा है। पूरे प्रदेश में ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई चल रही है। इसी दौरान एक और मामला ईडी के हाथों में आया है, जिसमें पुलिस की लापरवाही और अपराधियों को बचाने का मामला उजागर हुआ है।
मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बरहेट विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से जुड़ा है। बता दें कि लगभग दो वर्ष पहले एक टोल प्लाजा के टेंडर विवाद के दौरान मामला दर्ज किया गया था। लेकिन बिना पूरी जांच—पड़ताल प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर दोनों को आरोपमुक्त कर दिया गया। जब यह मामला तूल पकड़ा तो ईडी ने इस पूरे मामले के अनुसंधानकर्ता एएसआई सरफुद्दीन खान को पूछताछ के लिए 5 दिसंबर को बुलाया। सरफुद्दीन ने ईडी को बताया कि पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम को उन्होंने नहीं, बल्कि कांड के पर्यवेक्षणकर्ता तत्कालीन डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा ने आरोपमुक्त किया था। इसके बाद ईडी ने डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा को भी पूछताछ के लिए समन भेजा है। इसमें कहा गया है कि वे 12 दिसंबर को ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में आएं।
क्या है पूरा मामला
22 जून, 2020 को बरहरवा में शंभुनंदन नाम के एक व्यक्ति के साथ टेंडर विवाद में मारपीट हुई थी। इसी मामले को लेकर शंभुनंदन ने आलमगीर आलम, पंकज मिश्रा, तपन सिंह, दिलीप साह, इस्तखार आलम, तेजस भगत, कुंदन गुप्ता, धनंजय घोष, राजीव रंजन शर्मा, संजय रमाणी, टिंकू रज्जाक अंसारी और अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। लेकिन आरोप है कि 24 घंटे के भीतर 23 जून, 2020 को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी प्रमोद कुमार मिश्रा ने आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा को आरोपमुक्त कर दिया। इस अनुसंधान के दौरान न तो फोन पर दी गई धमकी की जांच हुई और न ही सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई। विवाद बढ़ने के बाद यह मामला ईडी के पास गया तब जाकर लोगों को इसकी जानकारी मिली।
इस मामले पर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से सवाल पूछा है कि झारखंड के कई थानों के अंदर ऐसे कई मामले पड़े हैं, जो अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के अनुसंधान की प्रतीक्षा में हैं। इसके बाद भी साहिबगंज में पंकज मिश्रा को 24 घंटे के अंदर क्लीनचिट दे दी जाती है। मुख्यमंत्री सोरेन के पास गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। ऐसी स्थिति में उन्हें जल्दी से जल्दी इस तरह के अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही हेमंत सोरेन पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि खुद को बचाने के लिए ही सही, लेकिन कुछ कीजिए नहीं तो ऐसे कारनामों की सजा आपको भी मिलेगी।
इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए शंभुनंदन ने झारखंड उच्च न्यायलय में एक याचिका भी दायर की है। इस याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने ईडी को प्रतिवादी बनाने की अनुमति प्रदान कर दी है। इस मामले पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा है कि संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति द्वारा इस प्रकार का कृत्य करना वांछित नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी।
पहले भी विवाद में रह चुके हैं प्रमोद कुमार मिश्रा
आपको बता दें कि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी प्रमोद कुमार मिश्रा पहले भी विवादों में रह चुके हैं। साहिबगंज की महिला दरोगा रूपा तिर्की की संदेहास्पद परिस्थिति में मौत के मामले में प्रमोद कुमार मिश्रा के खिलाफ रूपा तिर्की की मां ने एससी एसटी थाने में गाली—गलौज करने और बेटी के चरित्र पर भद्दी टिप्पणी करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इन पर पुलिस मुख्यालय स्तर से भी कार्रवाई हुई थी। उसके बाद उनका वेतन भी रोक दिया गया था।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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