गत दिनों पुणे में एक मराठी पुस्तक ‘दलित इतिहासाचे आधुनिक शिल्पकार’ का विमोचन हुआ। विमोचनकर्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री भैयाजी जोशी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दलित इंडियन चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (डिक्की) के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. मिलिंद कांबले ने की। प्रसिद्ध लेखक शरण कुमार लिंबाले कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि थे। इस अवसर पर श्री भैयाजी ने कहा कि हमारे सामाजिक जीवन में जितने भी प्रश्न हैं, वे सब हिंदू समाज के प्रश्न हैं। इतिहास में जब-जब प्रश्न उठे, तब-तब समाधान ढूंढने वाले भी आए हैं। उन्हें समाज का मार्गदर्शक माना जाता है।
समाज में व्याप्त प्रश्नों के उत्तर मिल सकते हैं, लेकिन इसके लिए सबसे पहले सवालों की समझ होनी चाहिए। हम भारत माता के पुत्र हैं और हिंदू हैं, यह हम सभी को कहना चाहिए। विविधता हमारे लिए अस्वीकार्य नहीं है, लेकिन हमें इसके आधार पर मतभेद पैदा नहीं करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ नहीं, बल्कि ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’, यह हिंदू चिंतन है। कार्यक्रम में डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. शरद कुंटे, डिक्की वेस्ट इंडिया के अध्यक्ष अविनाश जगताप, प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे, लेखक सुदर्शन रामबद्रन और डॉ. गुरु प्रकाश पासवान और अनुवादक सुधीर जोगलेकर मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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