उत्तराखंड बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अपने चुनाव संकल्प पत्र में राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की बात कह कर सब को चौंकाया था। उस समय ऐसा लग रहा था कि ये घोषणा करके बीजेपी किसी जंजाल में तो नही फंस रही है। लेकिन पुनः सरकार बनते हुई धामी कैबिनेट ने पहला फैसला यू सी सी को लागू करने का लेकर ये संदेश दे दिया कि वो राज्य में हर नागरिक के लिए एक ही कानून की पक्षधर है।
बीजेपी की धामी सरकार के फैसले के बाद गोवा, हिमाचल, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में बीजेपी ने संकल्प लिया है कि वो अपने यहां यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून बना कर लागू करेंगे। माना जा रहा है कि बीजेपी अब राम मंदिर, धारा 370, एक रैंक एक पेंशन, तीन तलाक जैसे एजेंडे के पूरा होने के बाद अपने छूटे हुए संकल्पो को पूरा करने के लिए तैयार हो रही है। यू सी सी के बारे में अभी यूपी की योगी सरकार खामोश है माना जा रहा है कि देर सवेर योगी सरकार भी इस बारे में घोषणा करेगी। माना यही जा रहा है कि बीजेपी हाई कमान इस मुद्दे को धीरे धीरे गर्मा रही है ताकि केंद्र की मोदी सरकार भी समान नागरिक संहिता कानून बनाने पर अपनी मंशा जाहिर करे।
यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून के बारे में सुप्रीम कोर्ट भी कई बार सरकार को ये कह चुकी है कि वो देश में एक समान कानून को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करे। यूसीसी के लागू होने से सबसे ज्यादा प्रभावित शरीयत कानून होना है या ये कहे धर्म आधारित कानून पर पड़ेगा।
समान नागरिक संहिता बन जाने से अनेक विवाह करने पर रोक या एक ही विवाह करने हेतु प्रावधान, यानि यदि ये कानून तीन विवाह को मंजूरी नही देगा। विवाह के लिए समान नागरिक संहिता में न्यूनतम आयु के निर्धारण का प्रावधान किया जाएगा।मोदी सरकार ने हाल ही में लड़कियों की न्यूनतम आयु 21 साल की है ऐसा इसलिए किया गया है ,शरीयत के अनुसार पंद्रह साल की लड़की का भी निकाह कर दिया जाता है। लड़कियों के स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण के लिए ये कानून जरूरी समझा जा रहा है।
यूसीसी के अनुसार सभी विवाह का अनिवार्य पंजीकरण किया जाएगा ऐसा इसलिए जरूरी है कि तलाक या परित्याग के मामलों या फिर परिवार के भरण पोषण के मामले का निर्धारण किया जा सके ,अभी तक तीन तलाक के मामले में या कुछ अन्य धर्मों में तलाक या संबंध विच्छेद हो जाने पर महिलाओ का भविष्य सुनिश्चित नही है।
समान नागरिक संहिता के बारे में अधिवक्ता राजीव शर्मा कहते है सरकार को इस लागू करने में कोई परेशानी नहीं आयेगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी सरकार से ये पूछ चुका है कि भारत में कब एक नागरिक एक संविधान लागू होगा? इस लिए इस पर अब देरी नहीं करनी चाहिए।
संविधान विशेषज्ञ दुष्यंत मैनाली कहते है यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से विवाह हेतु उपबंधित प्रावधानों के उल्लंघन पर विवाह पंजीकृत नहीं होगा और इससे सरकार से मिलने वाली सुविधाएं उन्हे नही मिलेगी यहां तक की पासपोर्ट ,वीजा बनवाने वाले को दिक्कत पेश आयेगी। लोगो को सख्ती से तलाक, विवाह विच्छेद हेतु प्रक्रिया का पालन करना होगा।
ये ऐसा कानून होगा जोकि महिला एवं बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करेगा जो की विवाह के कारण उत्पन्न होंजाती है,यानि विवाह उपरांत और संबंध विच्छेद हों जाने पर भरण पोषण का अधिकार सुनिश्चित करेगा। अधिवक्ता वैभव कांडपाल कहते है कि यूसीसी द्वारा बच्चों की अभिरक्षा के संबंध में कड़े प्रावधान उत्तराधिकार के संबंध में प्रावधान, गोद लेने के प्रावधान आदि को सुनश्चित करेगा।
देश भर में चलेगा राय शुमारी का संवाद
उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करने से पहले एक विशेषज्ञ समिति, पूर्व जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में बनाई गई है जोकि डिजिटल, डाक माध्यम से राज्य के प्रबुद्धजनों की राय ले रही है। समिति हर शहर में कैंप लगा कर भी प्रमुख समाजसेवियों, अधिवक्ताओं, जन प्रतिनिधियों से सुझाव ले रही है। ताकि जो कानून बने वो सबकी राय से बने।
माना जा रहा है कि बीजेपी हाई कमान अपनी अपनी राज्य सरकारों से भी यही कह रही है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए लोगो के साथ भी संवाद करे, ताकि देश भर में इस कानून के प्रति लोगो में जागरूकता फैले। ये भी कहा जा रहा है कि मोदी सरकार अगले लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को अपने एजेंडे में शामिल करके कोई फैसला ले लेगी।
यूसीसी के दस संभावित बिंदु
1. अनेक विवाह करने पर रोक या एक ही विवाह करने हेतु प्रावधान
2. विवाह हेतु न्यूनतम आयु का निर्धारण
3. सभी विवाह का अनिवार्य पंजीकरण
4. विवाह हेतु उपबंधित प्रावधानों के उल्लंघन पर विवाह पंजीकृत नहीं होगा
5. तलाक/विवाह विच्छेद हेतु प्रक्रिया का पालन करना होगा
6. महिला एवं बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करेगा जो की विवाह के कारण उत्पन्न हों
7. भरण पोषण का अधिकार
8. बच्चों की अभिरक्षा के संबंध में प्रावधान
9. उत्तराधिकार के संबंध में प्रावधान
10. एडोप्शन/गोद लेने के विषय में प्रावधान
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