दिल्ली में किसान मोर्चा को हर तरह का सहयोग देने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने सत्ता में आते ही कृषि मजदूरों की मांगों को दरकिनार कर दिया। इतना ही नहीं उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा भी जा रहा है। मजदूर अपनी मांगों को लेकर भारतीय खेत मजदूर यूनियन की अगुआई में मुख्यमंत्री भगवंत मान के संगरूर स्थित आवास के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे थे। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसमें कई मजदूर घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मारपीट की इस घटना में सिख मजदूरों की पगडिय़ां उछलीं और लोगों की ठोकरों में आईं।
पेंडू मजदूर यूनियन के अध्यक्ष तरसेम पीटर और जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष मुकेश मलौद ने कहा कि ग्रामीण और खेत मजदूर संगठनों के आह्वान पर सांझा मोर्चा की अगुवाई में बुधवार को पूरे पंजाब से मजदूरों के साथ-साथ बड़ी तादाद में महिलाएं और नौजवान संगरूर पहुंचे। वह लोग सिर्फ मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने अपनी बात रखना चाहते थे। जब वह शांतिपूर्वक तरीके से नारेबाजी करते हुए काफिले की शक्ल में सीएम आवास की ओर बढ़ रहे थे तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। पंजाब भर से अलग-अलग मजदूर संगठनों के सदस्य सुबह ही संगरूर में इकट्ठा हुए। यहां से उन्होंने काफिले की शक्ल में सीएम के आवास की ओर कूच किया। संगठनों ने इस प्रदर्शन की जानकारी प्रशासन को पहले से दे रखी थी। लिहाजा सीएम आवास की तरफ जाने वाले रास्ते पर भारी पुलिस बल तैनात था।
पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ रहे मजदूरों को पुलिस ने सीएम आवास से एक किलोमीटर पहले बैरिकेडिंग करके रोक दिया। मजदूरों ने जब बैरिकेड लांघकर आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस से धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठीचार्ज कर दिया। इसमें कई किसान और मजदूर घायल हो गए।
मजदूरों के सांझा मोर्चा में जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के प्रधान मुकेश मलौद, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन पंजाब के महासचिव लखवीर सिंह, पंजाब खेत मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव लक्ष्मण सिंह, मजदूर मुक्ति मोर्चा के राज्य नेता मक्खन सिंह, कुल हिंद किसान यूनियन के नेता भूपचंद, देहाती मजदूर सभा के नेता प्रकाश नंदगढ़, पेंडू मजदूर यूनियन के राज्य प्रधान तरसेम पीटर शामिल हैं। यूनियन के नेता जोरा सिंह, परमजीत सिंह व परगट सिंह ने कहा कि बीती 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान की मजदूर मोर्चा से बैठक तय थी मगर अचानक वह बैठक रद्द कर दी गई। उसके बाद वित्त मंत्री हरपाल चीमा के साथ बैठक हुई मगर उसमें चीमा ने स्वीकार की जा चुकी मांगों पर किंतु-परंतु शुरू कर दिया जिससे मजदूरों में रोष है। मजदूर नेताओं ने कहा कि इसी साल हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव से पहले मजदूरों की मांगों पर आम आदमी पार्टी नेताओं का रवैया कुछ और था लेकिन मार्च-2022 में पंजाब में सरकार बनते ही इन नेताओं के सुर बदल गए। पंजाब सरकार ने अभी तक उनकी मांगों पर बैठक करने का अपना वादा तक पूरा नहीं किया। ऐसे में मजदूर सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर हो रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
- कपास और धान की फसल को बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
- मजदूरों को सालभर में रोजगार की गारंटी दी जाए। दिहाड़ी 250 रुपए से बढ़ाकर 700 रुपए की जाए।
- मजदूरों को घर बनाने-रहने के लिए पंचायती जमीन सस्ते रेट पर दी जाए।
- बेघर जरूरतमंद मजदूरों को घर बनाने के लिए प्लाट दिए जाएं। अलॉट प्लाटों के कब्जे दिए जाएं।
- मजदूरों के कर्ज माफ किए जाएं।
- विधवा, बुढ़ापा और दिव्यांगों को मिलने वाली रकम बढ़ाकर 5 हजार रुपए की जाए।
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