दिल्ली में आम आदमी पार्टी के प्रति उसके कार्यकर्ताओं में ही गुस्सा बढ़ रहा है। वे अपने ही विधायक की पिटाई कर रहे और निगम चुनाव के लिए टिकट बेचने के आरोप लगा रहे हैं। ऊपर से सत्येंद्र जैन के वायरल हो रहे वीडियो ने भी पार्टी की असलियत को बेपर्दा किया
इन दिनों दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आआपा) की फजीहत उसके कार्यकर्ता और नेता ही कर रहे हैं। कहीं पार्टी के कार्यकर्ता अपने विधायक की पिटाई कर रहे हैं, तो कहीं घूस लेते उनके वीडियो वायरल हो रहे हैं। मजेदार बात यह है कि घूस लेने वाले, देने वाले और वीडियो बनाने वाले सभी आआपा के कार्यकर्ता ही हैं। इसके बावजूद पार्टी के बड़े नेता दिल्ली से गुजरात तक ऐसी बातें कह रहे हैं, मानो उनके जैसा ‘ईमानदार’ इस दुनिया में और कोई है ही नहीं। इन सबको देखते हुए कई लोग कहते हैं कि आम आदमी पार्टी के नेता इतने घमंडी हो गए हैं कि उन पर उन बातों का कोई असर नहीं होता, जो जन साधारण के बीच उनकी छवि को खराब कर रही हैं। और वे पूरे आत्मविश्वास के साथ अब भी हर मंच से झूठ बोले जा रहे हैं।
इस परिदृश्य को समझने के लिए तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के स्वास्थ्य और जेल मंत्री सत्येंद्र जैन को लें। बता दें कि ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ मामले में जैन छह महीने से तिहाड़ में बंद हैं। उन पर लगा आरोप इतना गंभीर है कि उन्हें किसी भी अदालत से जमानत नहीं मिल रही है। इसके बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहते हैं, ‘‘जैन ‘कट्टर ईमानदार’ हैं।
भाजपा वाले उन पर झूठे आरोप लगाते रहते हैं।’’ जनकपुरी के सी.पी.जोशी कहते हैं, ‘‘यदि जैन पर हल्के आरोप लगते तो आज तक उन्हें जमानत मिल गई होती। पर अरविंद केजरीवाल इसे समझने का प्रयास नहीं कर रहे और अभी भी वे जैन को मंत्री बनाए हुए हैं।’’ हाल ही में सत्येंद्र जैन के दो वीडियो तिहाड़ से बाहर हुए हैं। एक में दिख रहा है कि वे मालिश करवा रहे हैं। इस वीडियो के बाहर आने के बाद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया, दोनों जैन के बचाव में कूद पड़े।
दोनों ने कहा कि जैन बीमार हैं और डॉक्टर की सलाह पर उनकी फिजीयोथेरेपी हो रही है। उसके एक दिन बाद ही पता चला कि जैन की मालिश करने वाला कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि बलात्कार का आरोपी एक कैदी है। अभी इस वीडियो का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि जैन का एक और वीडियो बाहर आ गया। उसमें दिख रहा है कि उनके लिए डब्बाबंद खाना बाहर से गया है। यही नहीं, उनके लिए फल भी लाए गए हैं। यह सब जेल के नियमों के विरुद्ध है, लेकिन आम आदमी पार्टी को इसमें कुछ भी गलत नहीं दिख रहा। प्रसिद्ध यूट्यूबर हर्षवर्धन त्रिपाठी सही कहते हैं, ‘‘आम आदमी पार्टी कितना भी बड़ा पाप करे, उसे अब कोई फर्क नहीं पड़ता।’’
जैस्मीन शाह बर्खास्त
दूसरा मामला जैस्मीन शाह से जुड़ा है। अभी हाल तक जैस्मीन डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन आफ दिल्ली (डीडीसीडी) के उपाध्यक्ष थे। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया है। जैस्मीन पर आरोप था कि वे इस पद का दुरुपयोग कर आम आदमी पार्टी के राजनीतिक उद्देश्यों को साध रहे थे। दिल्ली के तिमारपुर स्थित नेहरू विहार के सी ब्लॉक में रहने वाले सुनील कुमार दास कहते हैं, ‘‘संवैधानिक पद पर बैठ कर अरविंद केजरीवाल को मदद पहुंचाने के हुनर की वजह से ही जैस्मीन शाह को यह पद मिला था और केजरीवाल उनकी तारीफ किया करते थे।’’
सुनील ने कुछ गलत नहीं कहा। बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने डीडीसीडी के गठन के सात वर्ष पूरे होने पर जैस्मीन शाह की तारीफ करते हुए कहा था, ‘‘सरकारों में यह देखा जाता है कि अधिकारियों के पास समय नहीं होता। वे जल्दबाजी में ऐसी योजनाएं लाते हैं जो विफल हो जाती हैं। वहीं, दिल्ली सरकार की योजनाएं जैस्मीन जैसे अधिकारियों की वजह से विफल नहीं होतीं हैं।’’
उपराज्यपाल ने जैस्मीन शाह को मिलने वाली सभी सरकारी सेवाओं और सुविधाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। उन्होंने शाह के दफ्तर पर ताला लगाने को कहा है। दिल्ली सरकार के अधिकारियों को उपराज्यपाल के निर्देशों का पालन करना है। मयूर विहार, फेस-वन में रहने वाले हरिओम गुप्ता कहते हैं, ‘‘संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को इस तरह राजनीतिक मोहरा बनने से बचना चाहिए। केजरीवाल पहले भी अपने कार्यकर्ताओं को दिल्ली सरकार की योजनाओं का लाभ देकर उनसे पार्टी का काम लेते रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों की सही प्रकार से जांच हो तो उसके पीछे भी कोई घोटाला निकल कर आएगा।’’
भ्रष्टाचार के कुएं में आआपा
बात केवल सत्येंद्र जैन या जैस्मीन शाह तक की नहीं है। दिल्ली के लोग कहते हैं कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के जिस कुएं में गिरी है, उसमें पहले से भांग घुली हुई है। इसलिए पार्टी के अधिकारी, मंत्री, उपमुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री सभी बौराए हुए हैं। ये लोग प्रदेश में शराब की नदी बहाते हैं और फंसने पर गांधीजी की शरण में राजघाट पहुंच जाते हैं। बुराड़ी में रहने वाले दिनेश महतो कहते हैं, ‘‘यदि गांधीजी जीवित रहते तो आम आदमी पार्टी की हरकतों को देखकर वे भी शर्मिन्दा हो जाते।’’
मजाक में लोग दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को ‘आड-इवन’ मंत्री कहते हैं। आम लोग ही इसे विस्तार से समझाते भी हैं। उनका कहना है कि मनीष सुबह से दोपहर तक शिक्षा मंत्री की भूमिका में रहते हैं और शाम से रात तक दिल्ली के आबकारी मंत्रालय को संभालते हैं। बता दें कि मनीष सिसोदिया के पास शिक्षा के साथ ही आबकारी विभाग भी है। उन पर आरोप है कि शराब के ठेके देने में उन्होंने जम कर भ्रष्टाचार किया।
ऐसे ही दिल्ली में विद्यालय भवनों के निर्माण में भी अनियमितता बरतने की शिकायत है। इसलिए मनीष सिसोदिया पर मुकदमा भी हुआ है। भाजपा के राष्टÑीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने मनीष सिसोदिया के मंत्रालय में चल रहे भ्रष्टाचार को मीडिया के सामने रखा है। डॉ. पात्रा का कहना है, ‘‘दिल्ली सरकार नई आबकारी नीति की घोषणा 5 जुलाई, 2021 को करती है, लेकिन उसके एक महीना पहले ही मनीष सिसोदिया ने शराब माफिया को ठेका दे दिया। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि शराब माफिया अपनी कमाई की योजना ठीक से बना सकें। उन्हें दोनों हाथों से दिल्ली को लूटने की अनुमति दिल्ली सरकार से ही मिल गई थी।’’
डॉ. संबित पात्रा ने यह भी खुलासा किया कि आबकारी विभाग रात-रात भर जागकर लाइसेंस अपलोड करने का काम करता रहा। इतना ही नहीं, नई आबकारी नीति के लिए दो कंपनियों से अग्रिम 100 करोड़ रु. लिए गए। शराब घोटाले में मनीष के साथ के कुछ लोग ही सरकारी गवाह बन चुके हैं। इसलिए आज नहीं तो कल, सिसौदिया के विरुद्ध भी कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी के नेता अपने को ‘कट्टर ईमानदार’ कहते नहीं थकते, लेकिन दिल्ली के लोग उनकी ‘ईमानदारी’ को समझने लगे हैं।
उत्तम नगर में रहने वाले कारोबारी नवीन पाठक कहते हैं, ‘‘जिन्होंने राजनीति बदलने का वादा किया था, जो साफ-सुथरी राजनीति और आम आदमी को सत्ता में भागीदारी दिलाने के वादे के साथ राजनीति में आए थे, जो लोग राजनीति से लाल बत्ती और लंबी-चौड़ी सुरक्षा खत्म करने आए थे, वे लोग अपने पाप छुपाने के लिए लाखों रुपए मोबाइल फोन पर खर्च कर रहे हैं।
दिल्ली ने अपने इतिहास में इतनी भ्रष्ट सरकार नहीं देखी।’’ कुछ ऐसा ही विचार सरिता विहार में रहने वाले कवि अरविंद झा ‘अभय’ का है। वे कहते हैं, ‘‘आम आदमी पार्टी अब भ्रष्ट आदमी पार्टी हो गई है। उन लोगों को अब अफसोस हो रहा है, जिन्होंने इस पर विश्वास किया था।’’ कुल जमा हम यह कह सकते हैं कि आआपा के प्रति दिल्ली के लोगों और उसके कार्यकर्ताओं में लगातार बढ़ता गुस्सा अरविंद केजरीवाल के लिए किसी खतरे से कम नहीं है।
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