पता चला है कि चर्च ने बिहार में एक फादर का वेतन इसलिए रोक दिया है कि उसने जिन हिंदुओं को लोभ—लालच से ईसाई बनाया था अब वे चर्च नहीं आ रहे हैं।
बिहार में एक अजब मामला प्रकाश में आया है। कहा जा रहा है कि कुछ समय पहले यहां अनुसूचित जाति और जनजाति के कुछ लोगों को लोभ—लालच और कुछ फौरी सुविधाएं देकर ईसाई बनाया गया था। कुछ समय बाद जब उन लोगों को वे सुविधाएं नहीं मिलने लगीं तो उन्होंने चर्च जाना छोड़ दिया। अब इसका खामियाजा उस फादर को उठाना पड़ रहा है, जिसने उन लोगों को ईसाई बनाया था। अब उस फादर को वेतन भी नहीं दिया जा रहा है।
मामला पटना जिले के नौबतपुर प्रखंड के डीहरा गांव का है। एक जानकारी के अनुसार यहां पर चर्च में काम करने वाले एक फादर को गरीब हिंदुओं को ईसाई बनाने का लक्ष्य दिया गया था। इसके बाद उसने लोभ—लालच से डीहरा, शेखपुरा, खजूरी समेत करीब एक दर्जन गांवों में हिंदुओं को ईसाई बनाया। इनमें ज्यादातर महादलित परिवार के लोग हैं। सूत्रों के अनुसार फादर और उसकी टोली ने इन हिंदुओं के लिए शौचालय बनवाए, मच्छरदानी और कंबल दिए। बाद में ये सुविधाएं बंद हो गईं। इस कारण इन हिंदुओं में ईसाइयत को लेकर आकर्षण कम हो गया। इन लोगों ने रविवार को होने वाली साप्ताहिक प्रार्थना सभा में भी जाना छोड़ दिया।
इसके बाद चर्च के लोगों ने इन हिंदुओं को ईसाई बनाने वाले फादर पर दबाव डाला कि वह उन लोगों को फिर से मनाए और चर्च में लाए। कहा जा रहा है कि उस फादर ने बहुत प्रयास भी किया, लेकिन लोग चर्च नहीं आ रहे हैं। अब पता चला है कि चर्च ने उस फादर का वेतन रोक दिया है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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