दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार पर एक नया आरोप लगा है कि सरकारी विद्यालयों के निर्माण में 1,300 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है।
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने को यह कहते नहीं थकते कि वे कट्टर ईमानदार हैं, लेकिन केवल सात साल में उन पर एक दर्जन से भी अधिक घोटाले के आरोप लग चुके हैं। कभी दिल्ली परिवहन निगम की बसों की खरीद और उनकी देखरेख करने में घोटाले की बात सामने आती है, तो कभी शराब घोटाला सामने आता है। शराब घोटाले में कल ही सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किया है। दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन इस समय तिहाड़ में जेल में बंद हैं और जिस तरह से उनके वीडियो बाहर आ रहे हैं, वे आम आदमी पार्टी के चेहरे से पर्दा हटा रहे हैं।
अब केजरीवाल सरकार पर यह आरोप लगा है कि 193 विद्यालयों में 2405 कक्षाओं के निर्माण में 1,300 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। इसके उजागर होते ही राज्य सरकार के सतर्कता निदेशालय ने इस घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से कराने की अनुशंसा की है। मुख्य सचिव को सौंपी गई रिपोर्ट में शिक्षा विभाग और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करने बात कही गई है। यह भी बता दें कि दिल्ली का शिक्षा विभाग उपमुख्यमंत्री और अरविंद केजरीवाल के चहेते मनीष सिसोदिया के पास है। इसलिए इसकी आंच से अरविंद केजरीवाल भी नहीं बच सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में कमरों के निर्माण में गंभीर अनियमितता बरतने की बात कही गई थी। यह रिपोर्ट 17 फरवरी, 2020 को बाहर आई थी। उसी समय केंद्रीय सतर्कता आयोग ने दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय को रिपोर्ट भेजकर उस पर उसकी टिप्पणी मांगी थी। लेकिन दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने उस रिपोर्ट पर लगभग ढाई साल तक कुछ नहीं किया। जब वी. के. सक्सेना दिल्ली के उपराज्यपाल बने तब उन्होंने दिल्ली के मुख्य सचिव से इस मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। इसके बाद दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने उपरोक्त अनुशंसा की है।
इसके बाद भाजपा ने दिल्ली सरकार पर हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा है कि दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में कमरों के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। टेंडर के बिना ही काम करवाया गया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले पर अरविंद केजरीवाल को सफाई देनी चाहिए या फिर वे अपना पद त्याग करें।
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