बिहार में देश-विरोधी तत्व लड़कियों के सहारे अधिकारियों को अपने जाल में फांस रहे। इसकी जांच की आवश्यकता
एक जानकारी के अनुसार भारतीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारियों को हासिल करने के लिए पाकिस्तान में लगभग 800 लड़कियां सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। बिहार के कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी इन लड़कियों के चंगुल में आ चुके हैं। उल्लेखनीय है कि 1 नवंबर को किशनगंज में फरीदा मलिक नाम की एक महिला पकड़ी गई थी। वह मूलत: पाकिस्तान की है, लेकिन उसका पासपोर्ट अमेरिका का है। उसने अपना नाम सना अख्तर बताया, लेकिन उससे जो दस्तावेज मिले हैं, उनमें फरीदा मलिक लिखा है।
उसका बिहार और नेपाल में अक्सर आना-जाना होता था। कहा जा रहा है कि बिहार के कई प्रमुख लोग इसके जाल में हैं। इससे पहले इसी वर्ष फुलवारीशरीफ (पटना) से मरगुब अहमद दानिश उर्फ ताहिर को गिरफ्तार किया गया था। वह लोगों को आतंकी संगठनों से जुड़ने के लिए प्रेरित करता था। कुछ ही दिन बाद लिसा नाम की लड़की ने ताहिर से पूछताछ करने वाले एक अधिकारी को प्रेम जाल में फांसने की कोशिश की। पर उस अधिकारी ने लिसा के बारे में जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के फोन से बात करती थी।
इससे पहले 14 नवंबर, 2021 को भी बिहार एटीएस ने सेना के एक जवान गणेश को गिरफ्तार किया था। वह आईएसआई की एक महिला एजेंट रिया से सेना से जुड़ीं महत्वपूर्ण सूचनाएं साझा करता था। रिया ने गणेश से 2019 में भारतीय सेना मेें डॉक्टर होने की बात कह दोस्ती की थी। अब उस पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है।
बिहार के अधिकारियों की तैनाती और स्थानांतरण में भी इनकी पैठ हो चुकी है। इसके लिए एक संगठित गिरोह कार्यरत है। कहा जाता है कि पहले गिरोह के लोग अधिकारियों से संपर्क करते हैं। किसी अधिकारी से बात होते ही उसके पीछे किसी लड़की को लगा दिया जाता है। इसके बाद इस गिरोह के पास किसी भी कर्मचारी की खुफिया बातें पहुंच जाती हैं।
ये देश-विरोधी तत्व रेलवे के अधिकारियों पर भी डोरा डालते रहे हैं। मध्य रेलवे में मुख्य अभियंता के पद पर कार्यरत रवींद्र कुमार सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पटना में तैनाती के दौरान वे दीघा की रेलवे आफिसर्स कॉलोनी में रहते थे। उन्हें अपने कब्जे में लेने के लिए ऐसे तत्वों ने एक षड्यंत्र रचा। इसके तहत एक 25 वर्षीया महिला चांदनी खातून उर्फ ललिता को नौकरानी के तौर पर उनके घर पर रखवाया गया।
योजना के अनुसार चांदनी की बहन हिना भी कभी-कभी सहायता के लिए आने-जाने लगी। इसके बाद चांदनी गायब हो गई और उसकी जगह हिना ही घर में काम करने लगी। उसने मौका देखकर रवींद्र को अपने प्रेमजाल में फांस लिया। 09 अक्तूबर, 2018 को रवींद्र की पत्नी आशा सिंह ने उसे घर से निकाल दिया, लेकिन उसने रवींद्र को इस तरह जकड़ लिया था कि उन्हें उसके साथ एक मंदिर में विवाह करना पड़ा। इसके बाद रवींद्र ने उसे झारखंड के बरकाकाना स्थित अपने घर पर रखा। वह रवींद्र से अपने गिरोह के लिए पैसे की उगाही और सरकारी तंत्र से सुरक्षा दिलवाती थी।
हिना और उसके गुर्गे रवींद्र की सरकारी गाड़ी (जेएच 01 ई 6023) से अवैध काम करते थे। हिना के परिवार का आपराधिक इतिहास रहा है। उसकी मां वहिदा खातून बिहार शरीफ के सूफी नगर की रहने वाली है और हत्या के एक मामले में जेल जा चुकी है। आशा सिंह के अनुसार आतंकवादियों ने सलमा, रुखसाना, आलिया जैसी कई महिलाओं को राज्य के प्रमुख अधिकारियों के बिस्तर तक पहुंचा दिया है।
अब तो बिहार के अधिकारियों की तैनाती और स्थानांतरण में भी इनकी पैठ हो चुकी है। इसके लिए एक संगठित गिरोह कार्यरत है। कहा जाता है कि पहले गिरोह के लोग अधिकारियों से संपर्क करते हैं। किसी अधिकारी से बात होते ही उसके पीछे किसी लड़की को लगा दिया जाता है। इसके बाद इस गिरोह के पास किसी भी कर्मचारी की खुफिया बातें पहुंच जाती हैं।
बाद में ये लोग उसका भयादोहन कर पैसे मांगते हैं, काम किए बिना ही हाजिरी बनवाने का दावा करते हैं, अच्छी जगह तैनाती की बात करते हैं। बता दें कि 9 वर्ष पूर्व बिहार के तीन न्यायाधीश हरि निवास गुप्ता, जितेंद्र नाथ सिंह और कोमल राम इनके झांसे में आ गए थे। इन्हें फारबिसगंज से सटे विराट नगर में 26 जनवरी, 2013 की रात कुछ महिलाओं के साथ पकड़ा गया था।
इन घटनाओं की गहराई से जांच करने की जरूरत है, अन्यथा बिहार में एक नया संकट पैदा हो सकता है।
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