महानायक लाचित बरफुकन की 400वीं जयंती पर दिल्ली में समारोह आयोजित किया जा रहा है। बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हमारे इतिहासकारों ने ऐसा वातावरण तैयार कर के दिया कि देश केवल मुगल के राज में ही चला था। मुगलों के पास जो भूखंड था वो भूखंड ही केवल भारत नहीं था। दक्षिण में मुगल का अधिकार नहीं था, उत्तर पूर्व में मुगल बार-बार हारे थे। हमारे इतिहासकारों ने औरंगजेब को ऐसा हीरो बनाया कि वो कभी हारा ही नहीं और पूरे देश पर राज किया।
औरंगजेब के सेनापति के साथ पांच साल चला युद्ध
बख्तियार खिलजी से औरंगजेब तक 17-18 आक्रमण असम पर हुए। औरंगजेब के सेनापति राम सिंह के साथ लाचित बरफुकन का अंतिम युद्ध हुआ। असम की सेना ने बड़ी रणनीति बनाई और राम सिंह की सेना को नदी पार करने नहीं दिया और खुद भी नदी के पार नहीं गए। चार-पांच साल लड़ाई चली। दो से ढाई सौ किमी नदी में 30- 40 हजार नाव से लाचित की सेना लड़ती रही। औरंगजेब की सेना को घुसने नहीं दिया। बेमेल युद्ध था, औरंगजेब की विशाल और समृद्ध सेना का असम की छोटी सेना ने मुकाबला किया और जीता। असम के गवर्नर एके सिन्हा ने लाचित को पढ़ा और तब एनडीए ट्रेनिंग सेंटर में लाचित की मूर्ति लगाई गई और उनके नाम पर पुरस्कार प्रारंभ हुआ।
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