एनसीपीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बच्चों का कन्वर्जन कराने वाले अमेरिकी एनजीओ आल इंडिया मिशन को अमेजन से दान मिलने की शिकायत पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अमेजन इंडिया को समन भेजा। अमेजन इंडिया ने अपना पल्ला झाड़ते हुए पूरा दारोमदार अमेजन अमेरिका पर मढ़ दिया। इस संबंध में एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो से पाञ्चजन्य की बातचीत के प्रमुख अंश-
अमेजन के विरुद्ध राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की कार्रवाई का मामला क्या है?
आयोग को सोशल जस्टिस फोरम अरुणाचल प्रदेश से एक शिकायत प्राप्त हुई थी। शिकायत में यह कहा गया था कि अमेजन द्वारा एक कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसका नाम ‘अमेजन स्माइल’ है। इसके अंतर्गत समान खरीदने पर खरीद की राशि का एक हिस्सा एनजीओ को दान के लिए लिया जाता है। अमेजन स्माइल के तहत ग्राहक अपने हिसाब से दान के लिए एनजीओ का चयन कर लेता है। इन एनजीओ में से एक आल इंडिया मिशन (एआईएम) भी है। यह संस्था भारत में कन्वर्जन की गतिविधियों में संलग्न हैं।
एनजीओ ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि वह भारत में हर वर्ष 25 हजार कन्वर्जन करता है। इसके लिए वह बच्चों को अनाथालय में रखता है। साक्ष्य के तौर पर शिकायत में एनजीओ की वेबसाइट के स्क्रीनशॉट भी लगाए गए थे। आयोग ने शिकायत की पुष्टि के लिए वेबसाइट देखने का प्रयास किया तो पता चला कि शिकायत की जानकारी सोशल जस्टिस फोरम अरुणाचल प्रदेश द्वारा सोशल मीडिया पर डाल दी गई थी, इसलिए एनजीओ ने अपनी वेबसाइट बंद कर दी। वेबसाइट बंद होने के कारण आयोग को बच्चों के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी। आयोग की चिंता यह है कि बच्चों का किसी भी प्रकार से दुरुपयोग न हो और जिस भी संस्था में बच्चे रखे जा रहे हैं, वह किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हो। किंतु बहुत प्रयास के बाद भी आयोग को अपने डाटाबेस में आल इंडिया मिशन का कोई भी बालगृह नहीं मिला। इसके साथ ही वेबसाइट बंद होने के कारण हमें यह जानकारी भी नहीं मिल पा रही है कि एआईएम किस राज्य में बालगृह संचालित कर रहा है। किसी राज्य विशेष की जानकारी न होने पर हम किसी राज्य सरकार से भी जानकारी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।
अमेजन इंडिया को समन जारी करने का क्या कारण है?
इस मामले में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने अमेजन इंडिया को सितंबर में पत्र लिखा था। किंतु हमें अमेजन इंडिया की ओर से कोई जानकारी दी गई। इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने अक्तूबर में अमेजन इंडिया को समन जारी कर 1 नवंबर को आयोग के समक्ष प्रस्तुत होने का निर्देश दिया। इसके बाद अमेजन इंडिया के अधिकारियों ने यह बताया कि अमेजन इंडिया का अमेजन स्माइल कार्यक्रम से कोई लेना देना नहीं है। यह कार्यक्रम अमेजन अमेरिका के द्वारा चलाया जाता है। चूंकि दोनों एक ही संस्थान के अंग हैं, इसलिए आयोग ने अमेजन इंडिया से इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा। इस पर अमेजन इंडिया ने जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 10 दिनों का समय मांगा।
अमेजन इंडिया ने क्या जवाब दिया?
हमें अमेजन इंडिया से जो जवाब मिला है, उसकी जांच की जा रही है। अमेजन इंडिया ने यह स्वीकार किया है कि वह एआईएम को पैसे देता है। लेकिन एआईएम का जो पता बताया गया है, वह अमेरिका का है। फिलहाल आयोग इस बात पर कार्य कर रहा है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाए जिससे आयोग को पुख्ता जानकारी मिल सके।
इस मामले में आयोग की प्रमुख चिन्ता क्या है?
आयोग की चिंता यह है कि हमे इस बात की जानकारी नहीं है कि कन्वर्जन के उद्देश्य से बच्चों को कहां और किस हाल में रखा जा रहा है। जानकारी के अभाव में हम बच्चों को बरामद करने और राहत देने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। हमारा पूरा प्रयास इसी ओर है कि हमें अमेजन से बच्चों की पुख्ता जानकारी मिले। विदेश मंत्रालय की मदद लेने पर भी विचार किया जा रहा है। जैसा कि हम हमेशा कहते आए हैं, बच्चों का गलत तरीके से कन्वर्जन पूर्णत: गैर-कानूनी है। देश में आयोग बाल अधिकारों का सर्वोच्च संरक्षक है। ऐसे में यह हमारा कार्य भी और हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि ऐसे कृत्य को रोका जाए और बच्चों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया जाए।
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