मोकामा में पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प के बाद दर्ज हुई एफआईआर। एफआईआर में भूमिहार लिखने से हुआ बवाल। उच्च न्यायालय ने कहा कि दोषी पुलिस वालों का करो स्थानान्तरण।
बिहार में जाति के नाम पर समाज को बांटने का चलन वर्षों पुराना है। इस कारण अब वहां हर स्तर पर जातिगत मतभेद देखने को मिल रहे हैं। एक नया मामला मोकामा से आया है। बता देें कि पिछले दिनों संपन्न मोकामा उपचुनाव के दौरान सम्यागढ़ ओपी में पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प हो गई थी। इस मामले को लेकर सम्यागढ़ ओपी प्रभारी ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी। अब वही प्राथमिकी पुलिस पर भारी पड़ गई है।
बात 28 अक्तूबर की है। उस दिन उपचुनाव को देखते हुए और कानून—व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सम्यागढ़ ओपी के अंतर्गत आने वाले कई नागरिकों को 107 का नोटिस दिया जा रहा था। इसी दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों में बहस हुई। कोलकाता में रहने वाले इंजीनियर दीपक सिंह छठ पूजा के लिए घर आए थे। किसी बात पर उनमें और एएसआई प्रमोद सिंह में बहस के बाद झड़प भी हो गई। इस झड़प में इंजीनियर दीपक सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद दीपक सिंह को पीएमसीएच यानी पटना लाया गया। इसी दौरान एएसआई ने अपने आवेदन में 10 लोगों को नामजद और 30-35 अज्ञात को अभियुक्त बनाया, लेकिन अज्ञात के साथ यह भी लिखा कि सभी एक ही जाति ‘भूमिहार’ से हैं।
पुलिस द्वारा ऐसा लिखना कुछ लोगों को पसंद नहीं आया और वे लोग उस एफआईआर के विरुद्ध पटना उच्च न्यायालय पहुंच गए।
याचिका में कहा गया है कि मोकामा टाल के घोसवरी प्रखंड के सम्यागढ़ ओपी में पुलिस द्वारा जातिगत दुर्भावना से ग्रसित होकर ग्रामीणों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। याचिका पर सुनवाई करने के बाद पटना उच्च न्यायालय ने बड़ा निर्देश दिया है। न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने कहा है कि जातिगत दुर्भावना से ग्रसित होकर काम करने वाले आरोपी पुलिसकर्मियों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर उनका स्थानांतरण किया जाना चाहिए।
उम्मीद है कि उच्च न्यायालय की इस कार्रवाई से लोग जातिगत भेदभावों से परे होंगे और एक समरस समाज बनाने की ओर बढ़ेंगे।
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