धार्मिक नगरी काशी एक बार फिर से विदेशी जोड़े के विवाह का साक्षी बना। कोलम्बिया से आए जोड़े को भारतीय संस्कृति काफी पसंद है। ईवान और डेनियला ने कहा कि भारत एक महान देश है। विविधता में एकता सिर्फ भारत में ही देखने को मिलती है।
ईवान ने डेनियला के मांग में सिंदूर भरकर अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए। पंडित कृष्णकांत त्रिपाठी ने वैदिक मंत्रों के साथ दोनों के वैवाहिक कार्यक्रम को संपन्न कराया। विवाह का पूरा इंतज़ाम अयोध्या निवासी आदित्य ने किया।
ईवान ने बताया कि वह मध्यप्रदेश के पन्ना से 16 नवंबर को वाराणसी आए थे। भारत घूमने वो इससे पहले भी आ चुके हैं। कोलंबिया में हम दोनों की मुलाकात हुई थी। भारत हम दोनों को शुरू से ही काफी पसंद रहा है। भारतीय कला-संस्कृति हम दोनों को बहुत अच्छी लगती है।
डेनियला को भारतीय परिधान में साड़ी बहुत पसंद है। भगवान शिव के बारे में भी हम दोनों ने पढ़ा है। शांति की अनुभूति और सुखमय जीवन भारतीय संस्कृति में ही मिलती है।
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