भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान को एक बार फिर धूल चटा दी और उसके ‘कश्मीर राग’ पर बगलें झांकने को मजबूर कर दिया। परिषद में भारत का पक्ष रखते हुए तुषार मेहता ने सदस्य देशों के सामने बलपूर्वक कहा कि भारत को सीमा पार आतंकवाद से लगातार मिल रही चुनौती के बाद भी आज जम्मू—कश्मीर में सुरक्षा के हालात बहुत सुधर चुके हैं। उन्होंने पाकिस्तान की उस शरारत का करारा जवाब दिया जब उसने परिषद में जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में वहां ‘मानवाधिकारों की स्थिति’ को लेकर भ्रम पैदा करने की कोशिश की।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की यह बैठक 7-18 नवंबर तक चलने वाली है। इसमें सामयिक समीक्षा कार्यकारी समूह के 41वें सत्र की कल बैठक हुई थी। इसी बैठक में अपना वक्तव्य रखते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जम्मू—कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि पूरा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू—कश्मीर तथा लद्दाख हमेशा से भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा रहा है और हमेशा रहेगा। आगे उन्होंने ने कहा कि 2019 में वहां हुए संवैधानिक परिवर्तन के बाद क्षेत्र के लोग देश के अन्य भागों की तरह अपनी पूरी सामर्थ्य का उपयोग कर पा रहे हैं।
भारत के सॉलिसिटर जनरल मेहता द्वारा ऐसा वक्तव्य देने से पूर्व पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने समीक्षा प्रक्रिया में अपनी टिप्पणी के बीच बेवजह जम्मू कश्मीर का मुद्दा गर्माने की कोशिश की थी। उसने अगस्त 2019 में भारत सरकार द्वारा वहां किए गए सकारात्मक बदलाव को लेकर आलोचना करते हुए स्थिति को उलटने और जम्मू—कश्मीर में स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की पहुंच जैसी छह ‘शरारती’ सलाहें दी थीं। इसी पर कड़ा जवाब देते हुए मेहता ने उक्त बातें कही थीं।
यूपीआर की इस बैठक में मेहता भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि भारत को सीमा पार से आतंकवाद का खतरा बना हुआ है। लेकिन ऐसे में भी अगस्त 2019 से जम्मू—कश्मीर में आज सुरक्षा की स्थिति बहुत सुधरी है। उल्लेखनीय है कि जम्मू—कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर, अभी तक वहां अलगाववाद को पनपा रहे जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था। साथ ही भारत सरकार ने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
भारत के सॉलिसिटर जनरल ने अधिकृत वक्तव्य में कहा कि भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के चहुंमुखी विकास के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इनमें जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की बहाली, सुशासन, बुनियादी ढांचे का शानदार विकास, पर्यटन तथा कारोबार शामिल हैं। मेहता ने आंकड़ों की मदद से बताया कि इस वर्ष अभी तक जम्मू-कश्मीर में 1.6 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आ चुके हैं। इतने पर्यटक पहले कभी नहीं आए थे।
मेहता ने तथ्यों पर बात की। आंकड़े दिए कि क्षेत्र में जनता के हित के आठ सौ से ज्यादा प्रगतिशील केंद्रीय कानूनों के विस्तार की वजह से जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी निवासियों के लिए बेहतर अवसर सुनिश्चित किए हैं। उन केंद्रीय कानूनों में कमजोर वर्गों का ध्यान रखते हुए उनके भले के काम हुए हैं, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला है, बिना भेदभाव वाले कानून हैं, घरेलू हिंसा के विरुद्ध सुरक्षा दी गई है और महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है।
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