राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाले तीन गाँवों से 46 लड़कियों के अचानक से गायब होने का मामला सामने आया है। मामले की गंभीरता के मद्देनजर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने टीम के साथ भीलवाड़ा के तीन गांवों का दौरा किया और अधिकारियों को लड़कियों का पता लगाने का निर्देश दिया है।
भीलवाड़ा जिले में स्टाम्प पर बालिकाओं को बेचने के मामले की जाँच के लिए भीलवाड़ा आए आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि मामले की जाँच के लिए जिले के तीन गाँवों ईटून्दा, धौद एवं रजवास एवं चार स्कूलों का दौरा किया। इस दौरान आंगनबाड़ी में काम करने वालों, राशन डीलर की दुकान, एएनएम, सरपंच, ग्रामपंचायत सचिव आदि से पूछताछ की गई। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने लड़कियों की तस्करी की आशंका जताई है।
मामले की छानबीन के दौरान ये सामने आया है कि रहस्यमयी ढंग से गायब हुई ये लड़कियाँ स्कूल या आँगनवाड़ी में पढ़ती थीं। एक अधिकारी के मुताबिक, गायब हुई 20-25 लड़कियों की शादी 12-15 साल की उम्र में ही करा दी गई थीं। यानि कि बाल विवाह कराया गया था।
प्रियंक कानूनगो इस मामले को लेकर कहते हैं, “हमने भीलवाड़ा के जहाँपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तीन गाँवों के 4 स्कूलों का दौरा किया। वहाँ पर हमने आँगनवाड़ी, और स्कूलों के रिकॉर्ड्स को खंगाला। इन बच्चियों ने 2014-15 के बीच स्कूलों में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन जब हमने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों से मामले में पूछताछ की तो पता चला कि बच्चियाँ गाँव से गायब हैं। 46 लड़कियों के नाम स्कूल अथवा आँगनवाड़ी में रजिस्टर है, लेकिन वो गाँव में नहीं हैं।”
जिला प्रशासन ने दी थी दूसरी लिस्ट
बच्चियों के गायब होने के मामले की जाँच कर रहे एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक, जब उनकी टीम एस केस की जाँच के लिए भीलवाड़ा आ रही थी। उस वक्त जिला प्रशासन ने एनसीपीसीआर को दूसरी ही लिस्ट दी थी। हालाँकि, अपनी सूचना के हिसाब से ही टीम ने एक्शन लिया।
कानूनगो ने एक हालिया न्यूज का हवाला देते हुए कहा, “हाल ही में एक न्यूज रिपोर्ट में, यह उल्लेख किया गया था कि भीलवाड़ा के एक गाँव से एक लड़की की कथित तौर पर नीलामी की गई थी। उसके स्कूल के रिकॉर्ड की जाँच करने के बाद, हमने पाया कि न तो वह और न ही उसके परिवार के सदस्य उस गाँव में मौजूद थे। ये बिंदु संदेह पैदा करते हैं और हमने इन 46 बच्चियों के बारे में जिला प्रशासन को 15 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
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