केन्द्र सरकार ने पंजाब को धान की पराली सम्भालने के लिए पूरे देश में दिए जाने वाली राशि का आधा हिस्सा पंजाब को दिया, जो 1200 करोड़ रूपये बनता है। केवल इतना ही नहीं केन्द्र ने राज्य सरकार को 1.2 लाख मशीनें भी भेजीं परन्तु परिणाम न केवल शून्य निकलता दिख रहा है बल्कि इस समस्या ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। इसे सरकार की अयोग्यता व लापरवाही के रूप में देखा जा रहा है। पिछले कई दिनों से पराली जलाने के कारण पंजाब के आसमान पर एक धुएं की परत बन गई है। यह परत इतनी मोटी है कि इससे सूर्य की रोशनी भी पूरी तरह से धरती पर नहीं पहुंच रही है। आसमान की तरफ देखें तो ऐसा लगता है जैसे बादल छाए हों, लेकिन यह बादल नहीं बल्कि धुएं के प्रदूषण की परत है।
राज्य में सरकार किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करने पर लगी हुई है और किसान जागरूक होने की बजाय लगातार पराली जलाने में जुटे हुए हैं। पिछले सालों की अपेक्षा इस बार सबसे ज्यादा पराली जलने के मामले सामने आए हैं। इस बार को पंजाब में जल रही पराली की इसरो ने भी फोटो जारी कर दी है।
हवा गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने भी जो देशभर में पराली जलाने के आंकड़े जारी किए हैं वह भी चौंकाने वाले हैं। हवा गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के जारी आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में जितने भी पराली जलाने के मामले रिमोट सेंसिंग सिस्टम पर रिपोर्ट हुए हैं उनमें से 80 प्रतिशत मामले अकेले पंजाब राज्य के ही हैं। पंजाब में भी छह जिलों गुरदासपुर, तरनतारन, अमृतसर, फिरोजपुर, कपूरथला और पटियाला में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने अपने रिमोट सेंसिंग सिस्टम पर दर्ज हुए आंकड़े जो पेश किए हैं वह भी डराने वाले हैं। इनमें पूरा पंजाब ही पराली की आग में जलता हुआ नजर आ रहा है। एक नवंबर तक राज्य में 17846 मामले पराली जलाने के रिपोर्ट हो चुके हैं। इनमें मुख्यमंत्री भगवंत मान के अपने जिले संगरूर में सर्वाधिक 345 मामले पराली जलाने के दर्ज हुए हैं, जबकि पूरे पंजाब में पहली नवबंर को 1842 मामले रिपोर्ट हुए हैं।
पराली जलाने के मामले में फिरोजपुर 229 के आंकड़े के साथ दूसरे और 196 पराली जलाने के मामलों के साथ पटियाला तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा बठिंडा में 160, तरनतारन में 123, बरनाला 97, मुक्तसर 91, मानसा 84, मोगा 70, लुधियाना 73, फरीदकोट 65, कपूरथला 62, जालंधर 58, फतेहगढ़ साहिब 49, फाजिल्का 40, मालेरकोटला 38, अमृतसर 16, एसबीएस नगर 14, होशियारपुर 9, गुरदासपुर 7, एसएस नगर 8, रूपनगर 8 स्थानों पर पहली नवंबर को मामले दर्ज हुए हैं। सबसे ज्यादा पराली मालवा क्षेत्र में जली है। रोचक बात तो यह है कि मुख्यमन्त्री के जिले संगरूर में भी किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं। केवल इतना ही नहीं बरनाला में आग बुझाने गई फायर ब्रिगेड की टीम को भी किसानों ने बन्धक बना लिया और चार घंटों के बाद उन्हें छोड़ा। पराली जलने के पीछे किसानों व किसान संगठनों की दबंगई भी बड़ा कारण बताया जा रहा है।
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