रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए करीब नौ महीने हो चले हैं और दुनिया दो खेमों में बंटी दिखाई दे रही है। रूस की बढ़ती आक्रामकता और अमेरिका द्वारा यूक्रेन को नित नए आधुनिक हथियारों से सज्ज करने की नीति पर रूसी आक्रोश से परमाणु युद्ध के आसार बनते दिख रहे हैं। ऐसे में चीन के साथ अमेरिका का पहले से बना हुआ छत्तीस का आंकड़ा अब और तीखा होता जा रहा है। ताजा वजह बनी है अमेरिका से आई यह खबर कि वह उत्तरी आस्ट्रेलिया में वायुसेना के एक अड्डे पर परमाणु बमवर्षक बी-52 विमान तैनात करने की तैयारी कर रहा है। स्वाभाविक ही, इस खबर ने चीन के जख्मों पर नमक छिड़का है। उसने बिना वक्त गंवाए अमेरिका पर क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
पिछले कुछ समय से अमेरिका और चीन के बची कई कारणों से तनाव बढ़ता दिखा है। ताइवान उनमें से एक बड़ा मुद्दा है। अब अमेरिका द्वारा उत्तरी आस्ट्रेलिया के वायुसैनिक अड्डे पर छह परमाणु बमवर्षक बी-52 तैनात करने की खबर ने इस तनाव को और भड़का दिया है। पता चला है कि बमवर्षकों की यह तैनाती आस्ट्रेलिया की वायुसेना के टिंडाल हवाईअड्डे पर की जाएगी जिसे आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जाएगा। यह सैन्य हवाई अड्डा आस्ट्रेलिया के उत्तर में डारविन से 300 किलोमीटर दूर दक्षिण में बना हुआ है। बताया जाता है कि अमेरिका द्वारा आस्ट्रेलिया में तैनात किए जाने को तैयार बी-52 लड़ाकू विमान करीब 14,000 किलोमीटर तक मार कर सकते हैं।
चीन की आक्रामकता के सामने आस्ट्रेलिया एक मजबूत दीवार की तरह उभरा है। ताजा प्रकरण पर भी चीन के चिढ़ने को लेकर आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए इस बारे में कोई सीधी प्रतिक्रिया तो नहीं दी, पर इतना जरूर कहा कि हम समय-समय पर अमेरिका के गठबंधन वाले अपने मित्र देशों के साथ सहयोग करते हैं। हालांकि आस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस की तरफ से अभी इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं आई है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाउ लि ज्यान ने इस बारे में कहा है कि किन्हीं दो देशों के बीच रक्षा तथा सुरक्षा क्षेत्र में होने वाला सहयोग तीसरा पक्ष को निशाने पर नहीं रखता है। झाउ ने कहा कि चीन चाहता है कि सभी संबंधित पक्ष शीत युद्ध के दौर की मानसिकता से बाहर आएं और क्षेत्रीय शांति तथा स्थायित्व में सहयोग देने वाले कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि हाल में अमेरिका ने जो प्रतिक्रिया की है वह कहीं से ठीक नहीं है। अमेरिका के बर्ताव से क्षेत्रीय मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
आस्ट्रेलिया की समाचार एजेंसी एबीसी न्यूज ने यह खबर देते हुए लिखा कि अमेरिकी दस्तावेजों को देखने पर पता चला है कि वहां का रक्षा विभाग छह बी-52 बमवर्षक विमान तैनात करने के लिए टिंडल में एक विमान पार्किंग का ढांचा खड़ा करने की तैयारी कर रहा है। बताया गया है कि टिंडल में अमेरिकी सेना के लिए ‘स्क्वाड्रन संचालन सुविधा’ के साथ ही रखरखाव केंद्र, जेट ईंधन जमा करने की टंकी तथा गोला बारूद बंकर बनाने के लिए खाका तैयार किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सितम्बर 2021 में चीन तब भी आस्ट्रेलिया की भूमिका से तिलमिलाया था जब अमेरिका, ब्रिटेन तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ ‘ऑकस’ नाम से एक ऐतिहासिक सुरक्षा समझौता हुआ था। चीन ने इस गठजोड़ पर अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त की थी और इसे ‘गैर जिम्मेदाराना’ बताया था। उसने इसे ‘ओछी सोच’ का उदाहरण भी बताया था। चीन ने अमेरिका, ब्रिटेन तथा ऑस्ट्रेलिया के उस कदम को ‘शीत युद्ध की मानसिकता’ दर्शाने वाला कहा था।
‘ऑकस’ सुरक्षा समझौते के अंतर्गत दरअसल अमेरिका द्वारा ऑस्ट्रेलिया को परमाणु अस्त्र सम्पन्न पन्नडुबी की तकनीक मुहैया कराई जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुरक्षा समझौता एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते असर को टक्कर देने के लिए किया गया है। एशिया प्रशांत का यह क्षेत्र कई साल से विवाद की वजह बना हुआ है। वहां अमेरिका, आस्ट्रेलिया और चीन के बीच लगातार तनाव की स्थितियां बनी हुई हैं।
चीन के निशाने पर रहते आए उस रक्षा समझौते की चीन के सरकारी मीडिया ने भी काफी निंदा की थी। चीन के सरकारी भोंपू कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में छापा था कि इस समझौते की वजह से ऑस्ट्रेलिया ने अपने आप को चीन का विरोधी बना लिया है।
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