पश्चिम उत्तर प्रदेश में ईसाई मिशनरियों में क्या योगी सरकार के धर्मांतरण कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है? मेरठ में हाल में हुई मतांतरण में आठ लोगों की गिरफ्तारी के बाद यही बात कही जा रही है कि ईसाई मिशनरियां बिना किसी डर के वंचित समाज में मतांतरण का षडयंत्र रच रही हैं। मेरठ के ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र में चार सौ लोगों का मतांतरण कराकर उन्हें ईसाई बनाए जाने की घटना ने एक बार फिर से देश में चल रहे ईसाई मिशनरियों के षडयंत्र को सामने ला दिया है।
कोरोना काल में वंचित समाज में राशन बांटने के बदले उन्हें बरगला कर ईसाई बनाने वाले ईसाई संस्था की एक टोली को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। इन आरोपी आठ लोगों में 6 महिलाएं शामिल हैं। आरोप है कि टोली के प्रमुख दिल्ली निवासी महेश परमार ने हिंदू समाज के करीब सौ परिवारों को ईसाई पंथ ग्रहण करवाया था और दिवाली के दिन हिंदू देवी देवताओं के चित्रों का अनादर किया और विरोध करने वाले लोगों पर चाकुओं और डंडे से हमला भी किया था।
मतांतरण की खबर की गूंज पश्चिम यूपी से लेकर लखनऊ-दिल्ली के दरबार तक में सुनाई दी थी, जिसके बाद मेरठ के एसएसपी रोहित संजवान हरकत में आए, हिंदू संगठनों के भारी विरोध के चलते आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई और आनन फानन में आरोपियों को पकड़ कर जेल भेज दिया गया। आरोपियों में महेश परमार के आलावा अनिल, सरदार, निक्कू, बसंत, प्रेमा, तितली, रीना, छबीली उर्फ शिवा, बिनवा है। इनमें अभी शिवा फरार है बाकी सबके खिलाफ मतांतरण कानून की धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं।
मीडिया में सुर्खियां बनी इस मतांतरण की खबर ने योगी सरकार का ध्यान इस ओर भी खींचा है कि धर्मांतरण कानून प्रभावी होने के बावजूद ईसाई मिशनरियों के नापाक इरादों में कोई कमी नहीं आई है। मिशनरियां मेरठ के आसपास खास तौर पर सहारनपुर, शामली, मोदी नगर, हापुड़ की श्रमिक बस्तियों में वंचित समाज के लोगों के बीच प्रलोभन देकर लोगों को ईसाई बना रही है। इन लोगों को अब चर्च नहीं लाया जाता, बल्कि वहीं गांव अथवा मोहल्ले में किसी एक घर में प्रार्थना घर बनाकर लोगों को एकत्र कर बरगलाया जाता है।
चिकित्सा, शिक्षा और अन्य मदद के बहाने ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले लोग यहां एनसीआर से आते हैं और अपने मतांतरण के कृत्यों को अंजाम देते हैं। हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा बार-बार प्रशासन को सूचनाएं भी दी जाती हैं, लेकिन उस पर गौर नहीं किया जाता। यही वजह है कि ईसाई मिशनरियां बिना किसी खौफ के अपने अभियान को अंजाम दे रही हैं।
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