रूस और भारत की निकटता गत कुछ वर्षों में कितनी बढ़ी है, इसके प्रमाण समय—समय पर मिलते रहे हैं। बात चाहे रूस—यूक्रेन युद्ध में भारत के दृढ़ मत की हो या संयुक्त राष्ट्र के इस संबंध में आए प्रस्तावों की, तेल की बढ़ती कीमतों की हो या अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों की, भारत ने अपनी सफल कूटनीति से हर मोर्चे पर एक संतुलित मार्ग अपनाया है और सबकी सराहना पाई है।
लेकिन उधर, रूस ने भी यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को लेकर पश्चिम की दुश्मनी को दरकिनार करते हुए भारत के संबंध में सही आकलन करके ही फैसले लिए हैं। दोनों ही देश शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य हैं और चीन तथा पाकिस्तान भी। इस मंच पर भी रूस ने भारत के साथ अपनी मैत्री को छुपाया नहीं है, न ही किसी दुष्प्रचार के झांसे में ऐतिहासिक तथ्यों से कन्नी काटी है।
उल्लेखनीय है कि रूस ने एससीओ के सदस्य देशों के लिए जो नक्शा जारी किया है, उसमें पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू—कश्मीर को भारत का अंग दर्शाया है। इतना ही नहीं, उसने चीन से लगते अक्साई चिन क्षेत्र को भी भारत का हिस्सा माना है। इसमें संदेह नहीं है कि मॉस्को यह जानता है कि इस नक्शे से पाकिस्तान और चीन की नजरें तिरछी होंगी लेकिन रूस ने उसकी परवाह न करते हुए इसे अपनी सरकारी समाचार एजेंसी स्पूतनिक से जारी करवाया है।
स्वाभाविक है कि रूस की इस कूटनीतिक चाल पर चर्चा चल रही है। मॉस्को के इस कदम को विशेषकर चीन और पाकिस्तान अपनी तरह से समीक्षा कर रहे हैं। यहां बता दें कि पिछले दिनों समरकंद में एससीओ की शीर्ष बैठक हुई थी जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रपति पुतिन से अलग से मिले भी थे।
आज के तेजी से बदलते अंतरराष्ट्रीय समीकरणों के बीच भारत की कूटनीति की तारीफ खुद पाकिस्तान ने भी की है और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान तो लगातार कहते आ रहे हैं कि भारत सदा अपना हित देखते हुए ही अपनी विदेश नीति पर चला है। भारत और रूस के बीच मित्रता तो वर्षों से रही है लेकिन मोदी सरकार ने इन संबंधों पर विशेष बल देते हुए अपनी रक्षा तैयारियों को और चुस्त किया है। यही वजह है कि यूक्रेन से युद्ध में उलझे होने के बाद भी, रूस ने हमें एस400 मिसाइल प्रणाली देना स्वीकारा है और वह भी करार के अनुसार तय वक्त पर।
इसमें संदेह नहीं है कि रूस आज एक बड़ी ताकत है और बेलारूस जैसे गिनती के सहयोगी देशों के साथ यूरोप और अमेरिका की धमकियों के सामने डटकर खड़ा है। लेकिन तब भी उसने भारत को घटी दरों पर तेल की आपूर्ति जारी रखी है। अमेरिका ने भी भारत को ऐसा न करने को कहा लेकिन भारत की तटस्थता के आगे उसे आखिरकार मुंह बंद करना पड़ा। भारत ने रूस—यूक्रेन पर हमेशा से बातचीत के रास्ते मुद्दे सुलझाने की बात की है, और किसी भी तरह की आक्रामकता का विरोध किया है।
यही वजह है कि अब रूस ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के लिए जारी किए अपने नक्शे में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को भारत का अंद दर्शाया है और इसे भारतीय क्षेत्र में ही रखा है।
कहने की आवश्यकता नहीं है कि इस नक्शे के जरिए रूस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और एससीओ के भीतर जम्मू-कश्मीर के विषय पर भारत की बात को और पुख्ता किया है। यहां ध्यान रखना होगा कि पिछले दिनों पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ने पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू—कश्मीर का दौरा किया था और उसे ‘आजाद कश्मीर’ कहकर संबोधित किया था। उधर जर्मनी के विदेश मंत्री ने गत दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में सुलझाने की बेमांगी सलाह दी थी।
ज्यादा दिन नहीं बीते, जब मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, भारत द्वारा एससीओ के लिए जारी किए अपने नक्शे ‘कुछ हिस्सों को अपने इलाके दिखाने’ पर उसे एक तरह से ‘कब्जा जमाने की कोशिश’ मानते हुए बीजिंग ने भौंहें तरेरी थीं। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रूस का एससीओ के संस्थापक सदस्य होने के नाते भारत के नक्शे को सही तरह से प्रस्तुत करना दोनों देशों की दोस्ती की मजबूती रेखांकित करता है।
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