पिछले दस दिनों में केदारनाथ के ऊपर ग्लेशियर में हिमस्खलन की तीन घटनाओं के बाद उत्तराखंड सरकार ने ग्लेशियर अध्ययन के लिए वाडिया हिमालय भूगर्भ विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल को अध्ययन के लिए भेजा। दल ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है।
अध्ययन दल में शामिल भूगर्भ वैज्ञानिकों ने सबसे पहले चौराबाड़ी ग्लेशियर का अध्ययन किया। यह वही ग्लेशियर है जोकि 2016 में केदारनाथ आपदा के समय टूटा था। वैज्ञानिकों ने मन्दाकनी ग्लेशियर और कपेनियर ग्लेशियर का पहले हवाई, फिर दस किलोमीटर पैदल चल कर अध्ययन किया। वैज्ञानिक दल का कहना है कि पिछले दिनों हिमस्खलन की जो तीन घटनाएं हुई हैं, उसके पीछे वजह बेमौसम बरसात और बर्फबारी है। बर्फ कच्ची थी और तेज धूप आते ही चटक कर बह गई। दल का ये भी कहना था कि इस तरह के हिमस्खलन हिमालय में होते रहते हैं और इसके तूफान से केदारनाथ मंदिर को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। ऐसे सर्वे हम हर छह माह में करते रहे हैं। यहां अध्ययन के लिए हमारे उपकरण यंत्र भी 12 महीने रखे हुए हैं। दल में वाडिया संस्थान के भूगर्भ वैज्ञानिक डा मनीष मेहता, डा सीएम भट्ट, डा प्रतिभा पंत आदि शामिल थे।
द्रौपदी के डंडा में हुए हिमस्खलन हादसे के पीछे भी कारण कच्ची बर्फ का टूटना बताया जा रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि जिस बर्फ के करीब सौ मीटर के टुकड़े के टूटने की बात कही जा रही है, उसके पीछे भी वजह यही है कि बर्फ बेमौसम गिरी और वो जमने से पहले ही चटक धूप की वजह से टूट गई। इस हादसे में कई पर्वतारोहियों की जान चली गई।
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