झारखंड में अंधविश्वास इस कदर फैला है कि कोई पति अपनी पत्नी की हत्या कर रहा है, तो कोई देवर अपनी भाभी की हत्या कर रहा है। वहीं दुमका में कुछ लोगों ने डायन होने का आरोप लगा कर कुछ महिलाओं को मैला पिला दिया।
पूरा भारत आज महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात कर रहा है। कई जगहों पर इसके प्रभाव भी दिखने लगे हैं। लेकिन झारखंड में आज भी अंधविश्वास और डायन-बिसाही के नाम पर महिलाओं के साथ अमानवीय अत्याचार और हत्याओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। डायन-बिसाही के खिलाफ झारखंड में कानून बने 20 वर्ष से भी अधिक हो गए हैं, लेकिन आज भी जागरूकता में कमी होने की वजह से डायन के नाम पर कई महिलाओं को मैला खिलाया जाता है, तो कभी उनकी सरेआम हत्या कर दी जाती है। पूरे प्रदेश में ऐसा कोई दिन नहीं बीत रहा है जिस दिन डायन- बिसाही के नाम पर किसी महिला की हत्या या अत्याचार की खबरें ना आती हों।
इसी डायन बिसाही से जुड़े एक मामले में रांची जिले के तमाड़ एवं खूंटी के मारंगहादा में दो महिलाओं की हत्या कर दी गई। इन दोनों हत्याओं में महिलाओं के नजदीकी लोग ही शामिल रहे। तमाड़ के बारेडीह गांव में जयदेव स्वांसी और जगन्नाथ स्वांसी और शिवेश्वर स्वांसी ने सरला देवी (उम्र 55 वर्ष) की लाठी से पीट-पीटकर हत्या कर दी। इनमें से जयदेव स्वांसी और जगन्नाथ स्वांसी सरला देवी के भतीजे थे और शिवेश्वर स्वांसी उनका देवर। वहीं खूंटी के मारंगहादा में देवर जोगन नाग ने अपनी भाभी नउरी नाग (48 वर्ष) की हत्या कर दी।
हालांकि इस घटना के बाद एक आरोपी जयदेव को पुलिस ने पकड़ लिया है। बाकी सभी आरोपी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। उन सभी आरोपियों के लिए छापेमारी चल रही है।
तमाड़ वाले मामले में आरोपी ने बताया कि उसकी बड़ी मां उसके सपने में आकर उसे डराती थी। इसके बाद जब वह झाड़-फूंक वाले के पास गया तो उसने बताया कि उसकी बड़ी मां ही डायन है, इसीलिए सरला देवी की हत्या कर दी गई। वहीं दूसरी ओर खूंटी वाले मामले में जोगन नाग ने इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह कुछ समय बीमार पड़ा था और उसे लगा कि उसकी भाभी उसके साथ डायन बिसाही का काम कर रही है।
रामगढ़ के शिवा नायक ने बताया कि अक्सर लोग अपने मन से ही यह मान लेते हैं कि उनके साथ अगर कोई तकलीफ हो रही है तो इसके पीछे किसी डायन का हाथ है। उनके क्षेत्रों में भी इस तरह की घटनाएं देखने और सुनने को मिलती रहती हैं। अक्सर देखा जाता है कि झाड़-फूंक करने वाले लोगों को भ्रमित करने का काम करते हैं।
इसी तरह का एक और मामला कुछ दिन पहले रांची के सोनाहातू से आया था। सोनाहातू के राणाडीह में 3 महिलाओं की भी हत्या डायन बता कर दी गई थी। पता चला है कि इस गांव में एक बच्चे की मौत सांप के डसने से हो गई थी। इसके बाद वहां पर एक सपेरा पहुंचा जिस ने बताया कि गांव में डायन का प्रकोप है। दो दिन के अंदर एक और बच्चे को सांप काट सकता है। इसके बाद दूसरे दिन ही एक और लड़के को सांप ने डस लिया जिसके बाद लोगों को सपेरे की बात सच लगने लगी। गांव में बैठक हुई और बैठक में अभिमन्यु सिंह मुंडा ने खुद अपनी पत्नी रइलु देवी को डायन बताकर उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। रइलु देवी ने मार के डर से और दो वृद्ध महिलाओं (ढोली देवी और आलोमनी देवी ) का नाम ले लिया। इसके बाद ग्रामीण तीनों महिलाओं को पकड़ कर एक पहाड़ी के निकट ले गए और वहां पर पत्थरों से मार मारकर उनकी हत्या कर दी।
बता दें कि पिछले कई वर्षों से झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इसी अंधविश्वास की वजह से कई महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अपराध अनुसंधान विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में 46 लोग, वर्ष 2016 में 39, वर्ष 2017 में 42 , वर्ष 2018 में 25, वर्ष 2019 में 27, वर्ष 2020 में 28, वर्ष 2021 में 21 और वर्ष 2022 में अब तक 7 लोगों की हत्या डायन बिसाही के आरोप में की जा चुकी है। एक और आंकड़े के हिसाब से वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक डायन बिसाही के मामलों में कुल 4556 मामले पुलिस में दर्ज किए गए हैं। इसके अनुसार लगभग हर दिन 2 से 3 मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं।
वर्ष 2001 में झारखंड के अंदर डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम कानून लागू हुआ था लेकिन झारखंड बनने के बाद भी डायन प्रताड़ना और हिंसा के बढ़ते मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम कानून को लागू कराने का श्रेय जमशेदपुर के प्रेमचंद को जाता है, जो इस प्रथा के खिलाफ पिछले 20 वर्ष से लगातार आज भी संघर्ष कर रहे हैं। फ्री लीगल ऐड कमिटी के संस्थापक प्रेमचंद का कहना है कि झारखंड में डायन बिसाही के खिलाफ कानून तो लागू कर दिया गया है, लेकिन सिर्फ कानून लागू करने से इन मामलों में कमी नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं के पीछे बहुत बड़ा हाथ फिल्म जगत और विदेशी संस्कृति का भी है। उनके अनुसार भारतीय फिल्मकार डायन और भूत प्रेत पर आधारित फिल्मों को बनाकर लोगों के दिलोदिमाग में महिलाओं के खिलाफ जहर घोलने का काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति में कभी भी डायन आदि बताकर कभी किसी को नहीं मारा जाता था। यह सब विदेश से भारत की धरती में लाया गया है ताकि भारत के अंदर रहने वालों को अंधविश्वास के नाम पर और पीछे धकेला जा सके। उन्होंने एक और गंभीर बात कही कि ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में ही देखा जाता है, बल्कि जाने अनजाने में शहरी क्षेत्रों के लोग भी डायन बिसाही के अंधविश्वास में आ जाते हैं। इसलिए यह भी जरूरी है कि अंधविश्वास से लड़ने और हमें अपनी संस्कृति बचाने के लिए व्यापक जन जागरण चलाना पड़ेगा और इसमें सरकार को उन सभी संस्थाओं को सहयोग करना पड़ेगा जो इसके लिए जन जागरण का काम कर रहे हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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