धरती को प्रदूषित करने के बाद मानवीय गतिविधियों से अब अंतरिक्ष भी प्रभावित हो रहा है। स्टेटिस्टा रिपोर्ट के अनुसार लॉन्च किए गए उपग्रहों, रॉकेट बूस्टर और हथियारों के परीक्षण से हुए मलबे के टुकड़े अंतरिक्ष में तैर रहे है। यह मलबा न सिर्फ अंतरिक्ष में अव्यवस्था बढ़ा रहा है, बल्कि धरती की निगरानी कर रहे सक्रिय उपग्रहों से भी टकरा सकता है। जर्मन डेटाबेस कंपनी स्टेटिस्टा ने उन देशों की एक लिस्ट जारी की है, जो अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा कचरा पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं।
इस लिस्ट के अनुसार अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा कचरा फ़ैलाने में रूस नंबर वन पर है। रूस की 7 हजार से अधिक रॉकेट बॉडी कचरे के तौर पर स्पेस में घूम रही हैं। लिस्ट में दूसरे नंबर पर अमेरिका है। 5,216 स्पेस कचरे के टुकड़ों के साथ अमेरिका अंतरिक्ष में मलबे को बढ़ा रहा है। अमेरिका के बाद लिस्ट में चीन का नंबर है।
लिस्ट में तीसरे नंबर पर चीन का नाम है। चीन ने 3,845 मलबे के टुकड़ों को अंतरिक्ष में छोड़ा हुआ है, जो भविष्य में स्पेस मिशनों के लिए चुनौती बन सकते हैं। जापान और फ्रांस क्रमश: चौथे और पांचवें नंबर पर हैं। इनके 520 और 117 मलबे के टुकड़े अंतरिक्ष में तैर रहे है।
भारत का नाम इस लिस्ट में छठें नंबर पर है। अंतरिक्ष में भारत के 114 टुकड़ों मलबे के रूप में तैर रहें है। लिस्ट में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी सातवें नंबर पर है। उसके मिशनों के 60 टुकड़े अंतरिक्ष में कचरे के रूप में तैर रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम भी इस लिस्ट में 8वें नंबर पर शामिल हैं। यूके ने अपने मिशन के दौरान 1 मलबे के टुकड़े को अंतरिक्ष में छोड़ दिया है।
बेहद घातक साबित हो सकता है ये कचरा
दरअसल, अंतरिक्ष में एकत्रित हो रहा कचरे का ढेर भविष्य में धरती पर रह रहे लोगों के साथ-साथ यहां सक्रिय तमाम उपग्रहों, अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष स्टेशन के लिए भी बेहद घातक साबित हो सकता है। इतना ही नहीं, इससे हमारी संचार व्यवस्था के भी प्रभावित होने का खतरा पैदा हो सकता है। ऐसे में जिस तरह से आज आधुनिक तकनीक आधारित तमाम गैजेट्स हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं, उससे अलग तरह के नुकसान की आशंका भी हो सकती है। अंतरिक्ष में तैरते कचरे से टकराने पर अंतरिक्ष यान और एक्टिव सैटेलाइट्स नष्ट हो सकते हैं। इसके साथ ही, धरती पर इंटरनेट, जीपीएस, टेलीविजन प्रसारण जैसी अनेक आवश्यक सेवाएं भी बाधित हो सकती हैं।
मलबा हटाने के लिए चल रहीं है कई रिसर्च
कई अंतरिक्ष मिशन अंतरिक्ष से मलबा हटाने की पाइपलाइन में हैं। हालांकि इसमें कई चुनौतियां हैं। मलबा हटाने वाले वाहनों को तैयार करने के लिए काफी जटिल और महंगी प्रक्रिया है। लेकिन भविष्य में अगर मलबा बढ़ता है तो स्पेस मिशन के लिए ये अत्यधिक आवश्यक हो जाएगा। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के विश्लेषकों का दावा है कि मलबा उस वस्तु के बारे में संवेदनशील डेटा प्रकट कर सकता है जिसका वे हिस्सा थे।
मलबे से ओजोन परत को हो रहा नुकसान
मलबा जब वापस वायुमंडल में प्रवेश करता है तो यह जलकर हानिकारक रसायन उत्सर्जित करके ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है। इस मलबे से भविष्य में प्रक्षेपण और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए भी समस्याएं बढ़ रही हैं। सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन का कहना है कि अंतरिक्ष कचरे के मुद्दे को जल्द ही हल करने की आवश्यकता है।
मानव जाति के लिए खतरनाक
अंतरिक्ष का कचरा मानव जाति और इस पृथ्वी के समस्त जीव जगत के लिए घातक है। अगर ये अनियंत्रित लाखों डिग्री सेल्सियस ताप पर दहकते टुकड़े घनी बस्तियों पर गिरते हैं तो जान-माल की बड़ी हानि हो सकती है। वर्ष 2001 में कोलंबिया स्पेस शटल की दुर्घटना में भारतीय मूल की कल्पना चावला समेत सात अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की जान चली गई थी। इस दुर्घटना के अलग-अलग कारण बताए जाते हैं, लेकिन कुछ रिपोर्टों में यह आशंका जताई गई थी कि अंतरिक्ष में भटकते एक टुकड़े से टकराने की वजह से यह भीषण त्रसदी हुई थी।
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