श्री हरि ज्योतिष संस्थान के संचालक व ज्योतिषाचार्य पं. सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से इस वर्ष 26 सितम्बर (सोमवार) से शारदीय नवरात्रि शुरू होकर 04 अक्तूबर को श्री दुर्गा नवमी पर समाप्त होंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेंद्र शर्मा ने आगे बताया कि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 26 सितम्बर को सुबह तीन बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और 27 सितंबर को सुबह तीन बजकर आठ मिनट तक रहेगी। ऐसे में नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर से होगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 51 मिनट तक हैं। उसी दिन सुबह 6 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक चौघड़िया का अमृत्त सर्वोत्तम मुहूर्त हैं। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त को भी कलश स्थापना के लिए शुभ माना जाता है। उस दिन दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट के बीच अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं.सुरेंद्र शर्मा ने आगे बताया कि नवरात्रि पर्व में 09 दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना की जाएगी। पहले दिन कलश स्थापना करते हुए विधि-विधान से मां दुर्गा की उपासना शुरू होगी फिर अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाएगा। नवरात्रि पर मां दुर्गा स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए आती हैं।
कलश स्थापना के दिन शुक्ल और ब्रह्म योग का शुभ संयोग
कलश स्थापना के दिन बहुत ही अच्छा शुभ मुहूर्त का संयोग बन रहा है। इस दिन शुक्ल और ब्रह्म योग का शुभ संयोग होगा। धार्मिक दृष्टि से पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान के लिए इन योग को बहुत शुभ माना जाता है।
इस नवरात्रि मां दुर्गा का वाहन हाथी
इस नवरात्रि मां दुर्गा का वाहन हाथी है। हर नवरात्रि पर मां दु्र्गा अलग-अलग वाहन की सवारी करते हुए आती हैं। इस साल अश्विन माह की शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं इसे शुभ संकेत माना जाता है। यह लोगों के जीवन में सुख-समृद्धि का सूचक होता है।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
शारदीय नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। ये दिन मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। देवी भागवत की कथा के अनुसार जब महिषासुर का आतंक धरती पर काफी बढ़ गया तो सभी देवी देवताओं ने त्रिदेव से मदद मांगी, लेकिन ब्रह्मा जी के वरदान के कारण त्रिदेव ने असमर्थता जताई। इसके बाद त्रिदेवों ने अपनी शक्ति से मां दुर्गा का सृजन किया। सभी देवताओं नें मां दुर्गा को अपनी-अपनी शक्ति और अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इसके बाद मां दुर्गा का नौ दिनों तक महिषासुर के साथ युद्ध चला। दसवें दिन उसका वध किया। इस बीच मां दुर्गा की शक्ति और सामर्थ्य ने देवताओं को भी चकित कर दिया। तब से नवरात्रि के नौ दिन शक्ति की पूजा के लिए समर्पित माने जाते हैं और दसवें दिन दशहरे का पर्व मनाया जाता है। रावण के वध से पहले प्रभु श्रीराम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी और विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
टिप्पणियाँ