प्रतापगढ़ जनपद के अपर सत्र न्यायाधीश ने अभियुक्त भूपेंद्र सिंह उर्फ भोनू निवासी किरांव थाना मऊआइमा जनपद प्रयागराज को नाबालिग के अपहरण व दुष्कर्म के आरोप में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और बीस हजार अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड की राशि पीड़िता को उसके चिकित्सीय एवं मानसिक आघात की पूर्ति तथा उसके पुनर्वास हेतु प्रदान की जाएगी।
अभियोजन द्वारा सितंबर माह की 13, 14,15 एवं 16 तारीख को साक्षी गणों को साक्ष्य हेतु प्रस्तुत किया गया।
दिनांक 20 सितंबर को बहस सुनी गई तथा 21 सितंबर 2022 को न्यायालय ने अभियुक्त को दोषी करार दिया। 22 सितंबर को न्यायालय द्वारा अभियुक्त को सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए आजीवन कारावास जो कि उसकी शेष प्राकृतिक जीवन तक के लिये रहेगा तथा बीस हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया। इस प्रकार न्यायालय ने मात्र 10 दिनों में उपरोक्त मामले का निस्तारण किया।
वादिनी मुकदमा के अनुसार वह दिनांक 10 अगस्त 2022 को अपने मायके अंतर्गत थाना कोतवाली नगर आई थी। दिनांक 12 अगस्त 2022 को शाम साढ़े 7 बजे उसकी 6 वर्षीय पुत्री उसके भाई की पुत्री के साथ दावत खाने गई थी। दावत खाकर वापस आते समय रास्ते में उसकी पुत्री को अभियुक्त खेत में बहला-फुसलाकर ले गया। उसके बाद वादिनी को उसकी भतीजी ने घर आकर घटना की सूचना दी। वादिनी अपनी बेटी को खोजते हुए खेत की तरफ गई तो मौके पर अभियुक्त , पीड़िता के साथ मौजूद था। पीड़ित बच्ची जख्मी हालत में रो रही थी।
घटना की सूचना पाकर गांव के कुछ लोग एकत्र हो गए और अभियुक्त को मौके पर पकड़ लिया। अभियुक्त ने अपना नाम भूपेंद्र सिंह निवासी किरांव थाना मऊआइमा बताया। अभियोजन की तरफ से पीड़िता, उसकी मां, चश्मदीद साक्षी, डॉक्टर, प्रधानाचार्य ,विवेचक, तथा रेडियोलॉजिस्ट को साक्ष्य हेतु प्रस्तुत किया गया जिन्होंने उपस्थित होकर घटना के बारे में स्पष्ट साक्ष्य दिया। अभियुक्त द्वारा अपने बचाव में उम्र के बाबत एक प्रार्थना पत्र टी सी लगाकर नाबालिग घोषित किए जाने हेतु प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय द्वारा उक्त टीसी को जांच उपरांत फर्जी पाए जाने पर उक्त प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया और अभियुक्त को बालिग माना। न्यायालय ने यह पाया कि दौरान विवेचना, विवेचक ने लापरवाही की जो कतई क्षम्य नहीं है। न्यायालय ने विवेचक सत्येंद्र सिंह निरीक्षक थाना कोतवाली नगर के विरुद्ध विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई करने हेतु आदेश जारी किया तथा कहा कि निर्णय की एक प्रति कार्रवाई हेतु डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस उत्तर प्रदेश को 3 दिन के अंदर प्रेषित किया जाए।
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