क्या चीन नहीं चाहता दुनिया से इस्लामी आतंक का सफाया हो? क्या वह अपने पिछलग्गू पाकिस्तान को खुश रखने के लिए सैकड़ों मासूमों के हत्यारों की ढाल तक बन जाएगा? ये कुछ सवाल हैं, जो आज चीन के संदर्भ में दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञ कर रहे हैं। वजह है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘मोस्ट वांटेड’ इस्लामी जिहादी साजिद मीर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन का लगाया अड़ंगा।
उल्लेखनीय है कि यदि साजिद मीर वैश्विक आतंकी ठहरा दिया जाता तो दुनिया में तमाम जगहों से उसकी सारी संपत्तियों जब्त हो जाती तथा उसके सभी सदस्य देशों में आने-जाने और उस तक हथियार पहुंचने पर लगाम कस जाती। यहां बता दें कि यही साजिद मीर भारत के ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकियों की सूची में दर्ज है। यही वह साजिद है जो 2008 में मुम्बई में हुए जिहादी हमले का खास हैंडलर था।
लश्करे-तोइबा के आतंकवादी साजिद को वैश्विक आतंकी घोषित करने संबंधी प्रस्ताव अमेरिका ने पेश किया था, और भारत ने उसका समर्थन किया था। लेकिन चालाक चीन की हेकड़ी की वजह से प्रस्ताव पारित न हो पाया। चीन ने उसमें अपनी वीटो ताकत का धूर्ततापूर्ण इस्तेमाल किया। अमेरिका ने यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 ‘अल-कायदा प्रतिबंध समिति’ के अंतर्गत पेश किया था, लेकिन गत 15 सितम्बर को चीन ने इसमें अड़ंगा डाल दिया।
इस संदर्भ में यह जानना दिलचस्प होगा कि भारत के इस ‘मोस्ट वांटेड’ इस्लामी जिहादी की मुंबई आतंकी हमले में भूमिका को लेकर अमेरिका ने उस पर 50 लाख डालर का इनाम देने की घोशणा की हुई है। एक बात और, ये वही आतंकी है जिसे गत वर्ष जून में पाकिस्तान में आतंकी फंडिंग केस में 15 साल जेल की सजा दी गई थी। लेकिन दूसरी तरफ, पाकिस्तान की सरकार का कहना था कि मीर मर चुका है, लेकिन हमेशा की तरह किसी भी सभ्य देश को उसकी बात का कोई भरोसा नहीं है।
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