मध्य प्रदेश स्थित खंडवा के गजवाड़ा में शिकारियों द्वारा निर्दयता की हदें पार करने का एक मामला प्रकाश में आया है. जो भी इस घटना को सुन रहा है वह आक्रोशित हुए बिना नहीं रह पा रहा. दरअसल जंगल में शिकारियों ने एक गर्भवती नीलगाय का पहले तो शिकार किया फिर उसके बाद पेट फाड़ डाला और गर्भ में पल रहे बच्चे तक को नहीं छोड़ा.
दरअसल, मामला ग्राम गजवाड़ा से लगे हुए जंगल के प्लॉट नंबर-28 का है, जहां नीलगाय मृत अवस्था में पड़ी मिली. घटना की सूचना वन विभाग की टीम को दी गयी तो रेंजर नितिन राजौरिया अपनी टीम के साथ डॉग स्क्वॉड को लेकर ग्रामीण चेतराम के खेत से सटे जंगल में पहुंचे. वहां देखा की नीलगाय का धड़ और गर्दन अलग थे. साथ ही पैर भी कटे हुए थे. खोजी कुत्तों की मदद से लगभग 70 मीटर के दायरे में चार स्थानों पर नील गाय को काटे जाने के निशान मिले. वहां से कुछ दूरी पर गाय का बछड़ा और उसकी गर्भधारण वाली पोटली भी मिली. बछड़े के भी पैर कटे हुए थे. दोनों की निर्ममता से हत्या की गई थी. आशंका यही है कि हत्यारों ने खाने के लिए उनका शिकार किया और पैर साथ ले गए. रेंजर नितिन राजौरिया के साथ रेस्क्यू दल द्वारा घटना स्थल के साक्ष्यों को एकत्र किया गया है. मौके से मिले सैंपल व पोस्टमार्टम के बाद लिए गए बिसरा सहित शरीर के अन्य भागों के सैंपल को भोपाल और हैदराबाद सहित अन्य लैब में भेजा जाएगा. दोषियों को सजा दिलाने में यह तथ्य अहम साबित होंगे.
बछड़े को भी काट डाला
वन विभाग की टीम ने मौके से सैंपल जुटाए. उसके बाद मां और बछड़े का पोस्टमार्टम करवाया गया है. आशंका जताई जा रही है कि गर्भवती नीलगाय भटक कर खेत की ओर आ गई. दरिंदों ने पहले उसे घेरा और फिर उसको धारदार हथियारों से काट डाला, जिसके बाद बच्चा भी चीरकर निकाला. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की निर्दयता से गर्भवती गाय को काटने का केस पहले कभी नहीं देखा. गौरतलब है कि नील गाय के प्रसव में एक सप्ताह और बाकी था. बछड़े का जन्म होता, उससे पहले ही हत्यारों ने गाय का पेट फाड़कर उसके बच्चे को पोटली सहित निकाल लिया. घटनास्थल को देख संभावना जताई जा रही है कि हत्यारे चार-पांच थे. पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसका अंतिम संस्कार वन विभाग ने किया.
5 साल सजा का प्रावधान
डीएफओ देवांशु शेखर का कहना है कि शिकारियों के बारे में टीम को कुछ सुराग हाथ लगे हैं, जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी होगी. बता दें कि पशु की निर्मम हत्या के मामले में धारा 429 प्रयोज्य है. दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत धारा को संज्ञेय अपराध बनाया गया है. यानी जैसे ही पुलिस को इसकी सूचना मिलती है तो वह वैसे ही गिरफ्तारी और जांच प्रारंभ कर सकती है. हालांकि, दंड प्रक्रिया संहिता में इस अपराध को जमानतीय भी रखा गया, लेकिन भारतीय दंड संहिता इस अपराध में 5 साल तक का कठोर कारावास दिए जाने का प्रावधान है.
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