इन दिनों उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में विश्व डेयरी सम्मेलन चल रहा है। 12 से 15 सितंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में दुग्ध उद्योग और इस उद्योग के लिए कल-पुर्जे बनाने वाली कंपनियों, सहाकारी संस्थाओं और डेयरी क्षेत्र में कार्य करने वाले 50 देशों के लगभग 1,500 प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है। इससे पहले इस तरह का सम्मेलन 1974 में आयोजित हुआ था।
सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 सितंबर को किया। उन्होंने कहा कि डेयरी उद्योग की कर्णधार महिलाएं हैं। भारत में डेयरी क्षेत्र की असली ताकत छोटे किसान हैं। एक, दो या तीन मवेशियों वाले इन छोटे किसानों के प्रयासों के आधार पर भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया है। उन्होंने कहा कि डेयरी उद्योग देश में 8 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार प्रदान करता है। उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत में डेयरी संस्थाओं का एक ऐसा विशाल संजाल है जिसका उदाहरण पूरे विश्व में मिलना मुश्किल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये डेयरी संस्थाएं देश के 2,00,000 से अधिक गांवों में लगभग दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करती हैं और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं। इस पूरी प्रकिया में बीच में कोई बिचौलिया नहीं होता है। उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र में 8,50,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य का उत्पादन होता है, जो गेहूं और चावल के कुल उत्पादन की तुलना में अधिक है। यह सब भारत की नारी शक्ति द्वारा संचालित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद से हमारी सरकार ने भारत के डेयरी उद्योग के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए लगातार काम किया है। इस कारण आज भारत मेें 21 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है, जबकि 2014 में 14.6 करोड़ टन दूध पैदा होता था। यानी लगभग 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे विश्व में दूध का उत्पादन 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जबकि भारत में यह 6 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक दर से बढ़ रहा है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि एवं पशुपालन राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।
12 सितंबर की शाम को इस सम्मेलन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता क्षेत्र से करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है।
महिलाओं की मेहनत
सम्मेलन के दौरान डेयरी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने अपने-अपने विचार रखे। वहीं आम लोगों के लिए डेयरी उत्पाद और डेयरी उद्योग से जुड़े यंत्र आकर्षण का केंद्र रहे। डेयरी उद्योग में काम करने वाली महिलाओं की मेहनत के किस्से भी लोगों को खूब भाए। सम्मेलन में देश की प्रमुख डेयरी कंपनियों के उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगी है। आंध्र प्रदेश की एक प्रमुख डेयरी कंपनी ‘श्रीजा’ की दुकान पर अच्छी-खासी भीड़ दिखी। बता दें कि ‘श्रीजा’ का संचालन पूरी तरह महिलाएं करती हैं। ‘श्रीजा’ के आई.टी. प्रमुख एम. मुरली कृष्ण ने बताया, ‘‘इस समय ‘श्रीजा’ से लगभग 1,00,000 महिलाएं जुड़ी हैं। ये महिलाएं प्रतिदिन लगभग 4,000 गांवों से दूध जमा करती हैं और उसे बाजार तक पहुंचाती हैं। ‘श्रीजा’ दिल्ली की ‘मदर डेयरी’ को प्रतिदिन 4,00,000 लीटर दूध उपलब्ध कराती है। यह दूध विशेष रेलगाड़ी से दिल्ली आता है।’’
सम्मेलन में डेयरी उद्योग के लिए मशीन बनाने वाली कंपनी आई.डी.एम.सी. की भी काफी चर्चा हो रही है। यह कंपनी गुजरात के आणंद में डेयरी उद्योेग से जुड़ी अनेक प्रकार की मशीन बनाती है। इस कंपनी की एक मशीन दूध दुहने में काम आती है। आई.डी.एम.सी के वरिष्ठ प्रबंधक अविनाश कुमार ने बताया कि मात्र 40,000 रु. की इस मशीन को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इस कारण आज इस मशीन की बाजार में बहुत मांग है।
उम्मीद है कि इस सम्मेलन से भारत के डेयरी उद्योग को और गति मिलेगी।
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