अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निर्माण समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। ट्रस्ट ने श्रीरामलला के मंदिर में कोई कमी न रह जाए इसके लिये हर बिंदु पर चर्चा की है।
ट्रस्ट के तय किया कि मंदिर के दरवाजे सागौन की लकड़ी के होंगे, जिसमें सुंदर और बारीक नक्काशी की जाएगी। मंदिर में कुल 14 भव्य दरवाजे सागौन लकड़ी के बनाए जाएंगे, जिसमें रामलला के गर्भगृह में एक बड़ा दरवाजा होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण में कुल 14 दरवाजे बनाए जाने हैं। यह दरवाजे खास लकड़ियों से बनाए जाएंगे। जिन पर सुंदर डिजाइन होगी जो भव्यता बढ़ाएंगे। मंदिर के पहले तल में 13 दरवाजे लगेंगे। रामलला के गर्भगृह में एक बड़ा दरवाजा लगेगा। यह दरवाजे किन लकड़ियों के होंगे इनकी डिजाइन क्या होगी इसको लेकर भी ट्रस्ट की बैठक में मंथन किया गया है। तय हुआ कि मंदिर की चौखट व बाजू संगमरमर का होगी। दरवाजे महाराष्ट्र के जंगलों से सागौन की लकड़ियों से मंदिर से बनाए जाएंगे।
निर्माण में करीब 1800 करोड़ खर्च होंगे
ट्रस्ट महामंत्री राय ने बताया कि मंदिर निर्माण की भव्यता को देखते हुए खर्च बढ़ गया है। अनुमान के मुताबिक मंदिर निर्माण में करीब 1800 करोड़ खर्च होंगे। एक अनुमान के मुताबिक मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में अब तक 400 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि मन्दिर निर्माण में पैसे की कोई दिक्कत नहीं है। राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर के भक्तों ने अब तक करीब 5500 करोड़ रुपए का दान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को किया जा चुका है। पहले हमने अनुमान लगाया था कि मंदिर निर्माण में करीब 1000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पर अब यह अनुमान गलत साबित हो रहा है। मंदिर का 30 प्रतिशत से ज्यादा का काम पूरा हो चुका है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में मकर संक्रांति के बाद गर्भगृह में रामलला विराजेंगे। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। उस समय सूर्य दक्षिणायन रहते हैं। इस दौरान शुभ कार्यों का निषेध रहता है। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। मकर संक्रांति के बाद जो भी शुभ तिथि व मुहूर्त होगा, उसी दिन गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके बाद भक्त गर्भगृह में रामलला का दर्शन कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि अभी तिथि को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। ट्रस्ट और मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय संयुक्त बैठक के बाद चंपत राय ने कहा कि मंदिर का ग्राउंड फ्लोर दिसंबर 2023 तक बन जाएगा। पहले हमारा अनुमान था कि भूतल का आधा हिस्सा ही तैयार हो पाएगा लेकिन काम की गति व इंजीनियरों से चर्चा के बाद यह बात सामने आई है। उन्होंने अभी तिथि को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि पूरे मंदिर की परिक्रमा करने के दौरान भक्त थक सकते हैं। इसलिए परकोटे के परिपथ में उनके बैठने से लेकर पेयजल की भी व्यवस्था की जाए इस पर चर्चा हुई है। बताया कि परकोटा छह एकड़ में बनेगा। परकोटे में माता सीता, गणेश सहित रामायण के कई पात्रों के मंदिर बनने हैं। इन मंदिरों की ऊंचाई कितनी हो इसको लेकर मंथन हुआ है, यह मुख्य मंदिर से कम ही रखी जाएगी। मंदिर के ऊपर चढ़ने के लिए रेलिंग कैसी बने, पत्थर की बने या धातुओं की इसको लेकर भी चर्चा हुई। कुछ धातुएं काली हो जाती हैं, कुछ लंबे समय तक चलती हैं। मंदिर की मजबूती के साथ सुंदरता भी कम न हो हमारा ऐसा प्रयास है।
ट्रस्ट सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि ट्रस्ट अपना बाइलॉज तैयार कर चुका है। गठन के समय ट्रस्ट का बाइलॉज नहीं बनाया गया था। बाद में विधि विशेषज्ञों की विशेष राय और उनकी देखरेख में तैयार किया जा रहा है। जन्मभूमि परिसर में कुल 7 मंदिर बनाए जाने पर भी विचार हैं जिसे फाइनल किया गया। बैठक में ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, महंत दिनेंद्र दास, आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा सहित टाटा, एलएंडटी व ट्रस्ट के इंजीनियर शामिल रहे।
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