आस्ट्रेलिया में वहां के नागरिकों की बड़े पैमाने पर डीएनए की जांच शुरू हुई है। अपनी तरह के दुनिया के इस पहले अभियान को लेकर वहां के निवासियों में एक उत्साह देखने में आ रहा है। लोग बढ़-चढ़कर इस जांच के लिए अपने नाम दर्ज करा रहे हैं। मेलबर्न से इसकी शुरुआत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि इस डीएनए स्क्रीनिंग से भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों का पहले से पता चल जाएगा।
दिलचस्प तथ्य ये है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार अपनी पूरी आबादी की इस जांच पर सरकारी पैसा खर्च करेगी। इस तरह की अनोखी जांच शुरू करने वाला आस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश बन गया है। इस अभियान के पीछे उद्देश्य है आबादी की सेहत अच्छी रखने और वक्त रहते इलाज उपलब्ध कराने के लिए तैयार रहना।
आस्ट्रेलिया की सरकार मानती है कि आबादी की डीएनए सैंपलिंग से पता चल जाएगा कि लोगों को आने वाले समय में कैंसर या डायबिटीज जैसी आनुवांशिक बीमारियां होने का कितना खतरा है। आमतौर पर इन बीमारियों के इलाज महंगे माने जाते हैं। इस डीएनए जांच अभियान की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न के मोनाश विश्वविद्यालय से की गई है।
जैसा पहले बताया, इस तरह की अनोखी जांच के लिए लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। पहले दौर में पंजीकरण के लिए 24 घंटे से भी कम वक्त में 18-40 साल के 10 हजार लोग आ पहुंचे थे। यह पंजीकरण स्क्रीनिंग के लिए किया जा रहा है। नतीजों से पता चला है कि जांचे गए हर 75 लोगों में से एक भविष्य में गंभीर बीमारी के खतरे में है।
मोनाश विश्वविद्यालय के इस अभियान की अगुआई जेन टिलर कर रही हैं। उनके अनुसार, जिन लोगों की जांच में भविष्य में कोई बीमारी होने के खतरे का पता चलता है, तो वे बेशक चिंतित हो जाते हैं, पर इससे उनकी बीमारी के खतरे को कम करने में मदद ही मिलेगी। सरकार की ओर से ऐसे लोगों की देखभाल के लिए कदम उठाए जाएंगे। जांच के डाटा से सरकार स्वास्थ्य बजट निर्धारित कर सकेगी।
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