लद्दाख में सीमा पर एक स्थान से चीन के सैनिकों के पीछे हटने की खबर पर चीन का बयान आया है और कहा गया है कि 12 सितम्बर तक सैनिक वापस हो जाएंगे। इधर भारत के सैनिकों ने भी कदम पीछे हटाने शुरू किए हैं और वे भी 12 सितम्बर तक ही पहले की स्थिति में पहुंच जाएंगे। लेकिन इस बीच एक बड़ी खबर यह है कि भारत के थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे आज लद्दाख दौरे पर हैं।
भारत तथा चीन पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र से अपने सैनिकों को पीछे हटा रहे हैं। भारत और चीन ने 8 सितम्बर को बयान दिया था कि वे पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र के ‘पेट्रोलिंग प्वाइंट 15’ से अपने-अपने सैनिकों के पीछे हटाना शुरू कर रहे हैं।
इसी स्थान पर दोनों तरफ के सैनिकों के बीच करीब दो साल पहले झड़प हुई थी और उसके बाद से यहां गतिरोध बना हुआ था। भारत के विदेश् मंत्रालय ने कहा है कि पीछे हटने के समझौते से सुनिश्चित हुआ है कि दोनों पक्ष इस क्षेत्र में एलएसी का कड़ाई से पालन तथा सम्मान करेंगे, साथ ही यथास्थिति में किसी भी पक्ष की तरफ से कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के अनुसार, भारत और चीन के कोर कमांडरों की 16वें दौर की वार्ता 17 जुलाई 2022 को चुशूल मोल्दो में हुई थी। दोनों पक्षों ने तब से भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ ही अनेक मुद्दों को सुलझाने के लिए बराबर संपर्क बनाए रखा था। इसके बाद दोनों पक्ष अब गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) से पीछे हटने पर राजी हो गए हैं। बागची ने बताया है कि समझौते के अनुसार, दोनों पक्षों के इस क्षेत्र में पीछे हटने की कार्रवाई 8 सितंबर की सुबह 8.30 बजे शुरू हुई थी, जो 12 सितंबर तक पूरी कर ली जाएगी।
भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का ऐसी परिस्थिति में लद्दाख का यह तीन दिन का दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारतीय सेनाध्यक्ष वहां हालात को नजदीक से देखेंगे और साथ ही रक्षा तैयारियों पर नजर डालेंगे। यही क्षेत्र है जहां पर चीन के साथ एक लंबे समय से विवाद चला आ रहा है, जहां चीन कभी आएदिन घुसपैठ करता रहता था। लेकिन भारत की वर्तमान सरकार की पैनी निगाहों को लेकर वह सावधान है और एलएसी को गंभीरता से लेने की बात कर रहा है।
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