इस्लामाबाद ने ‘बोल न्यूज’ के दो चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि इन्होंने गृह मंत्रालय से ‘सुरक्षा मंजूरी नहीं ली थी’, लेकिन जानकार बताते हैं कि यह न्यूज चैनल शाहबाज सरकार के कटु आलोचक हैं और इसके कामकाज पर बहुत ज्यादा मुखर रहते हैं। चैनलों पर लगे इस प्रतिबंध को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुद्दा बनाया है और सरकार पर जमकर बरसे हैं। उल्लेखनीय है कि शाहबाज सरकार ने कुछ वक्त पहले एआरवाई न्यूज चैनल पर भी रोक लगाई थी, क्योंकि उसने शाहबाज की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणियां की थीं।
देखा जाए तो नाम के लिए लोकतांत्रिक देश पाकिस्तान में मीडिया का गला घोंटना कोई नई चीज नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि वहां जिसकी सरकार रहती है उसकी आलोचना करने वाले पत्रकारों और मीडिया चैनलों पर कार्रवाई की जाती रही है। आज इस मुद्दे को हवा देने वाले इमरान खान यह क्यों भूल जाते हैं कि उनके कार्यकाल में कितने ही पत्रकारों, स्वतंत्र टिप्पणीकारों और चैनलों को निशाना बनाया गया था।
आज की शाहबाज शरीफ सरकार भी वहां की सत्ता की ‘परंपरा’ पर ही चल रही है। जिन दो चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया गया है, उस बारे में कहा यह जा रहा है ये दोनों बहुत वक्त से शाहबाज शरीफ की नजरों में खटक रहे थे। इन चैनलों पर ‘आरोप’ ये भी हैं कि वे सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई का समर्थन करने वाले समाचार ही दिखाते हैं। लोगों का मानना है कि इन पर प्रतिबंध लगने के पीछे यह एक बड़ा कारण है। सरकार के इस आदेश की तमाम राजनीतिक दलों और प्रेस क्लबों ने आलोचना की है।
पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले कराची शहर के इन चैनलों, ‘बोल न्यूज’ और ‘बोल एंटरटेनमेंट’ पर प्रतिबंध लगाते हुए पाकिस्तान में मीडिया पर निगरानी रखने वाले संस्थान ‘पेमरा’ ने अपने आदेश में ऐसा करने का कारण भी बताया है।
पाकिस्तान के मशहूर दैनिक द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों चैनलों को इसलिए प्रतिबंधित किया गया है, क्योंकि इन्हें ‘गृह मंत्रालय से सुरक्षा क्लीयरेंस’ नहीं’ मिला था। इसलिए मंत्रालय से ‘सुरक्षा संबंधी मंजूरी मिलने तक’ चैनलों का संचालन रोका है। आदेश के अनुसार, गृह मंत्रालय के सभी दस्तावेजों, अदालती आदेश और नोटिस की समीक्षा करने के बाद ही ‘बोल न्यूज’ और ‘बोल एंटरटेनमेंट’ चैनलों का लाइसेंस रद्द किया गया है।
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