जब रोम जल रहा था तब उसका शासक नीरो बंसी बजा रहा था। आज ऐसा लग रहा है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उसी नीरो को अपना आदर्श मान चुके हैं। अभी पूरे बिहार की स्थिति यह है कि प्रदेश के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं और कुछ जिलों में सूखे की स्थिति है। इसके अलावा बिहार में जंगलराज ने दस्तक दे दी है, युवा सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं । इस परिस्थिति में भी नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने का सपना लिए दिल्ली में विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं। इसके लिए नीतीश कुमार अपने राजनीतिक गुरु जयप्रकाश नारायण को जेल भेजने वाले कांग्रेस से भी हाथ मिलाने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
बता दें कि बीते 5 सितंबर को नीतीश कुमार ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। इसके बाद 6 सितंबर को माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी , दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल, ओम प्रकाश चौटाला जैसे नेताओं से भेंट कर विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास किया है। वहीं कुछ दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को भी इसी सिलसिले में बिहार बुलाया गया था। शायद यही वजह है कि जनता दल (यू) की राष्ट्रीय परिषद बैठक में भी बिहार की मूल समस्याएं गौण रहीं। इस बैठक की चर्चा के मूल में नीतीश कुमार को विपक्ष का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाना ही रहा।
कुछ वर्ष पहले बिहार के प्रख्यात समाजवादी नेता और नीतीश कुमार के संबंधी भोला प्रसाद सिंह ने भी 2013 में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार के लिए कहा था कि जो व्यक्ति अपने बूते विधायक नहीं बन सकता वह प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहा है।
भाजपा की वरिष्ठ कार्यकर्ता अमृता राठौर ने भी नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा ‘बाढ़ से बेहाल आधे बिहार और नीतीश कुमार दिल्ली गए बने पीएम उम्मीदवार’ ।
इधर नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे पर उनके पुराने सहयोगी रहे आरसीपी सिंह ने भी तंज कसते हुए कहा ‘नीतीश जी विपक्षियों को नहीं पक्षियों को एकजुट करने का काम कर रहे हैं, जो कभी भी संभव नहीं हो सकता, क्योंकि पक्षियों का स्वभाव एकजुट रहने का है ही नहीं।’
कहीं ना कहीं आरसीपी सिंह की बात में भी सच्चाई दिख रही है। अभी हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ प्रेस वार्ता कर रहे थे तो उस दौरान भी देखा गया कि केसीआर और नीतीश कुमार के बीच कुर्सी पर बैठने को लेकर काफी देर तक असमंजस बना रहा। यह वीडियो भी काफी वायरल हुआ और सोशल मीडिया पर भी लोगों ने काफी मजाक उड़ाया।
अब अगर बात करें बिहार की वर्तमान स्थिति की तो इस वर्ष बिहार में कम बारिश होने के बाद भी राज्य के कई जिले बाढ़ से प्रभावित हैं और कई इलाके बारिश ना हो पाने की वजह से अभी भी सूखाग्रस्त हैं। फसल नष्ट हो गई, वहीं दूसरी ओर कई जिलों में सूखे की वजह से फसल लग ही नहीं पाई। दोनों ही परिस्थितियों में किसानों की हालत गंभीर हो चुकी है।
भारतीय किसान संघ ने भी सूखे की स्थिति को देखते हुए सभी जिलों में 6 सितंबर को प्रदर्शन भी किया। संगठन ने आरोप लगाया कि एक तरफ मौसम साथ नहीं दे रहा है दूसरी तरफ सरकार को भी इन किसानों की कोई चिंता नहीं है। जब इतने से भी नहीं हुआ तो उर्वरक विक्रेता सरकारी अधिकारियों के सहयोग से उर्वरक के लिए मनमाना पैसा वसूला जा रहा है।
यह तो रही किसानों की बात। दूसरी तरफ बिहार में जबसे राजद और जदयू गठबंधन की सरकार बनी है तभी से राज्य में आपराधिक गतिविधियों में बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है। आए दिन सड़कों पर बेरोजगारों का धरना प्रदर्शन देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में जिस व्यक्ति को कभी सुशासन बाबू के नाम से जाना जाता था अब लोग उन्हें कुशासन बाबू के नाम से पुकारने लगे हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले दिल्ली में घूम रहे हैं।
अब यह तो भविष्य तय करेगा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षियों को एक कर पाते हैं कि नहीं और सबसे बड़ी बात यह है कि सभी विपक्षी नेता इन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार मानते हैं या नहीं
टिप्पणियाँ