कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद की जम्मू में रविवार को आयोजित बहुप्रतीक्षित रैली में उनके समर्थक नेताओं और लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। आजाद ने कहा कि वे अपनी नई पार्टी बनाएंगे। उनकी पार्टी का झंडा ऐसा होगा, जिसे हर धर्म के लोग स्वीकार करेंगे। पार्टी का नाम कश्मीर की जनता तय करेगी। कांग्रेस से इस्तीफे के बाद आजाद की यह पहली रैली थी।
आजाद ने कांग्रेस से पांच दशकों का नाता तोड़ने के बाद आज नई राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी ने जमीन खो दी है। कांग्रेस हमारे खून से बनी है, कंप्यूटर और ट्विटर से नहीं। लोग हमें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी पहुंच कंप्यूटर और ट्वीट तक सीमित है। यही कारण है कि कांग्रेस जमीन पर कहीं नजर नहीं आती।
गुलाम नबी आजाद ने कहा, “2005 से 2008 तक मैं जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री था, लेकिन कुछ साथी मेरे कार्यकाल के बीच में ही चले गए थे इसलिए उस समय मेरा एजेंडा पूरा नहीं हो सका। जम्मू-कश्मीर को खुशहाल बनाने का हमारा एजेंडा था। उस समय जो मेरे साथ कैबिनेट में थे, सभी अनुभवी नेता और सक्षम लोग हमारे साथ आए हैं। अब हम साथ में उस अधूरे एजेंडे को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पांच विधायक भी उनके साथ इस मंच पर हैं। जनसभा के दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग अब सिर्फ बसों में जेल जाते हैं, वे डीजीपी, कमिश्नरों को बुलाते हैं, अपना नाम लिखवाते हैं और एक घंटे के भीतर चले जाते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस विकसित नहीं हो पाई है।
आजाद ने पीडीपी पर हमला करते हुए कहा कि कुछ लोगों को सकारात्मक बदलाव पसंद नहीं आए क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उन्हें वोट नहीं मिलेगा। अपने नए संगठन की बहुप्रतीक्षित घोषणा के बारे में बात करते हुए आजाद ने रिपोर्टों की पुष्टि की और कहा कि नई पार्टी राष्ट्रीय स्तर की होगी, लेकिन हमें राष्ट्रीय आकांक्षाओं की कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि यह पार्टी जम्मू-कश्मीर से शुरू होगी। जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हम पिछले 8 वर्षों से पूरे देश में कांग्रेस की हालत देख रहे हैं, जो 49 विधानसभा चुनाव हुए थे, उसमें उसे 39 में हार का सामना करना पड़ा था। अब केवल दो राज्यों में कांग्रेस है। बाकी के जाने से पहले हमने सोचा कि हम अपना घर बना लेंगे। जिसमें सभी ईंटें रखेंगे, रेत कोई नहीं रखेगा। क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान में केवल ‘रेत-पालक’ ही मौजूद हैं, लेकिन केवल रेत से ही घर नहीं बनते हैं।
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