ऊसर जमीन जहां कोई फसल की उपज नहीं हो रही थी. उत्तर प्रदेश सरकार ऐसी भूमि को उपजाऊ बना रही है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के जरिए सरकार अब तक दो लाख हेक्टेयर से अधिक गैर कृषि योग्य भूमि को कृषि योग्य बना चुकी है। इस मदद में सरकार अब तक 291 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है।
गैर कृषि योग्य भूमि को उपजाऊ बनाना समय की मांग बन चुकी है। दरअसल, बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण और अन्य विकास कार्यों की वजह से उपलब्ध भूमि का रकबा हर साल घट रहा है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, इन कार्यों की वजह से हर साल भूमि के रकबे में 40 से 50 हजार हेक्टेयर की कमी आ रही है। इस कारण से खेती का रकबा घट रहा है। ऐसे में बढ़ती आबादी की खाद्यान्न एवं पोषण सुरक्षा के लिए दो ही विकल्प बचते हैं। उपलब्ध जमीन की उपज बढ़ाई जाय और गैर कृषि योग्य भूमि को क्रमशःखेती योग्य भूमि में बदला जाय। योगी सरकार इन दोनों क्षेत्रों पर काम कर रही है। अब तक के नतीजे भी अच्छे रहे हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार गैर कृषि योग्य भूमि को कृषि योग्य बनाने से कई लाभ हुए हैं। मसलन प्रति हेक्टेयर उत्पादन में 8.58 कुंतल की वृद्धि हुई है। इस तरह दो लाख हेक्टेयर गैर कृषि योग्य भूमि को कृषि योग्य बनने से कुल उपज में 17 लाख 16 हजार कुंतल की वृद्धि हुई है। अगर प्रति कुंतल का मूल्य 2 हजार रुपये की दर से देखा जाय तो यह 3 तीन सौ 43 करोड़ 20 लाख रुपये होगा।
इससे किसानों की आय तो बढ़ी ही संबंधित क्षेत्रों के भूगर्भ जल के स्तर में औस्तन 1.42 मीटर की वृद्धि हुई है। इसके स्थाई लाभ हैं। मसलन भूगर्भ जल स्तर के सुधरने से यह जल सूखे के दिनों में सिंचाई एवं पशुओं के पीने के पानी के काम आएगा। इससे जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता भी कम होगी।
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