केरल सरकार के अधीन विश्वविद्यालयों (विवि) की नियुक्तियों में ‘भाई-भतीजावाद’ और ‘पक्षपात’ का मुद्दा चर्चा में है। राज्य की वामपंथी सरकार (विवि) में वामपंथी नेताओं-कार्यकर्ताओं के रिश्तेदारों को बेहतर अर्हता प्राप्त अभ्यर्थियों की नियुक्ति दे रही है।
केरल सरकार के अधीन विश्वविद्यालयों (विवि) की नियुक्तियों में ‘भाई-भतीजावाद’ और ‘पक्षपात’ का मुद्दा चर्चा में है। राज्य की वामपंथी सरकार (विवि) में वामपंथी नेताओं-कार्यकर्ताओं के रिश्तेदारों को बेहतर अर्हता प्राप्त अभ्यर्थियों की नियुक्ति दे रही है। इसे लेकर सत्तासीन माकपा और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच तल्खी एवं तनातनी बढ़ गई है।
दरअसल केरल के माकपा नेता एवं पूर्व राज्यसभा सांसद के.के. रागेश की पत्नी प्रिया वर्गीज की कन्नूर (विवि) में मलयालम विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति की गई।
अपने-आप जाहिर कर देता है कि नियमों में हेराफेरी हुई है। इसकी पुष्टि केरल उच्च न्यायालय के निर्णय से भी होती है। न्यायालय ने प्रिया वर्गीज की नियुक्ति पर 31 अगस्त तक रोक लगा दी है और यूजीसी को नोटिस जारी किया है। प्रिया को स्पेशल कोरियर से नोटिस भेजा जाएगा।
इस नियुक्ति में प्रिया का रिसर्च स्कोर कम था परंतु साक्षात्कार में ज्यादा अंक देकर उन्हें नियुक्ति दी गई। जब यह शिकायत (विवि) के कुलाधिपति राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के पास पहुंची तो उन्होंने न सिर्फ प्रिया वर्गीज की नियुक्ति पर रोक लगाई बल्कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों द्वारा की गई नियुक्तियों की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दे दिए।
रागेश मुख्यमंत्री विजयन के निजी सचिव हैं। इसलिए माकपा अपने नेता के समर्थन में खड़ी हो गई है और राज्यपाल द्वारा नियुक्ति पर रोक लगाने के निर्णय को असंवैधानिक बताते हुए कह रही है कि शोध में प्रिया वर्गीज के अंक सबसे कम थे, किन्तु साक्षात्कार में सर्वाधिक अंक थे। यह वाक्य ही अपने-आप जाहिर कर देता है कि नियमों में हेराफेरी हुई है। इसकी पुष्टि केरल उच्च न्यायालय के निर्णय से भी होती है। न्यायालय ने प्रिया वर्गीज की नियुक्ति पर 31 अगस्त तक रोक लगा दी है और यूजीसी को नोटिस जारी किया है। प्रिया को स्पेशल कोरियर से नोटिस भेजा जाएगा।
एक तथ्य यह भी है कि जिस साक्षात्कार में प्रिया वर्गीस को प्रथम रैंक दिया गया, वह साक्षात्कार कुलपति का कार्यकाल बढ़ाए जाने से ठीक पहले नवंबर में हुआ था। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कुन्नूर (विवि) के कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन को भाई-भतीजावाद करने पर लताड़ लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल को खुश करने के लिए कुलपति रवींद्रन ने हदें पार कर दीं। अब यह खुला रहस्य है कि प्रिया की नियुक्ति करने के लिए कई अन्य उच्च अंक प्राप्त प्रत्याशियों को दरकिनार किया गया।
राज्यपाल द्वारा राज्य के सभी (विवि) में हुई नियुक्ति की उच्च स्तरीय जांच कराने से दो बार लोकसभा सदस्य रहे पी.के. बीजू की पत्नी को भी मुसीबत झेलनी पड़ सकती है जिन्हें केरल (विवि) में नियुक्ति मिली है। राज्य के वर्तमान उद्योग मंत्री और पूर्व राज्यसभा सदस्य पी. राजीव की पत्नी की कोचीन (विवि) में हुई नियुक्ति पर भी ग्रहण लग सकता है।
इससे पूर्व राज्यपाल ने 8 दिसंबर, 2021 को मुख्यमंत्री पी. विजयन को लिखे एक पत्र में कहा था कि (विवि) में जिस तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप किया जा रहा है, वह मेरे लिए असहनीय हो गया है। उन्होंने पत्र में राज्य सरकार पर व्यंग्य करते हुए आग्रह किया कि राज्य सरकार कानून में संशोधन करे और एक अध्यादेश लाए जिससे मुख्यमंत्री को (विवि) का कुलाधिपति बनने की शक्ति मिले और सरकार अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा कर सके।
इससे पूर्व फरवरी, 2021 में भी कलादी स्थित राज्य के श्री शंकराचार्य संस्कृत (विवि) में माकपा सांसद एम.बी. राजेश की पत्नी की नियुक्ति पर सवाल उठे थे। इसी (विवि) में मलयालम और समाजशास्त्र विभाग में भी उच्च अर्हता वाले अभ्यर्थियों को दरकिनार कर निम्न अर्हता या न्यूनतम अर्हता न रखने वाले अभ्यर्थियों का चयन किया गया।
इससे पूर्व अगस्त 2020 में सेव यूनिवर्सिटी कम्पेन कमेटी ने राज्य के कई (विवि) पर नियमों को धता बताते हुए भाई-भतीजावाद, पक्षपात और भ्रष्टाचार के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति का आरोप लगाया था और राज्यपाल से इसे रोकने की गुहार लगाई थी। तब केरल (विवि), कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (विवि), कालीकट (विवि), कन्नूर (विवि), संस्कृत (विवि) और महात्मा गांधी (विवि) में भर्तियां चल रही थीं। ये दृष्टांत बताते हैं कि (विवि) पर वामपंथी पकड़ कैसे बनती है।
टिप्पणियाँ