जिहादी नेटवर्क के विरुद्ध असम पुलिस की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। घनी मुस्लिम आबादी वाला यह इलाका बांग्लादेश से जुड़े आतंकियों और जिहादी मॉड्यूल के लिए सुरक्षित ठिकाना है। यहां मदरसे की आड़ में जिहादी गतिविधियां चलाई जा रही थीं। एसपी अपर्णा नटराजन के नेतृत्व में पुलिस की एक विशाल टीम ने जमीउल हुदा मदरसे को सील कर जिहादी मास्टरमाइंड मुफ्ती मुस्तफा को गिरफ्तार कर लिया।
असम लगातार आतंकियों के निशाने पर है। बीते 6 माह में राज्य में 5 आतंकी नेटवर्क का खुलासा करने के साथ दर्जनों आतंकियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। बीती 28 जुलाई को असम पुलिस ने मध्य असम के मोरीगांव जिले के ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र (चर) में मोइराबारी नामक स्थान पर एक जिहादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया।
हाल के दिनों में जिहादी नेटवर्क के विरुद्ध असम पुलिस की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। घनी मुस्लिम आबादी वाला यह इलाका बांग्लादेश से जुड़े आतंकियों और जिहादी मॉड्यूल के लिए सुरक्षित ठिकाना है। यहां मदरसे की आड़ में जिहादी गतिविधियां चलाई जा रही थीं। एसपी अपर्णा नटराजन के नेतृत्व में पुलिस की एक विशाल टीम ने जमीउल हुदा मदरसे को सील कर जिहादी मास्टरमाइंड मुफ्ती मुस्तफा को गिरफ्तार कर लिया। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से इस्लामिक शिक्षा हासिल करने के बाद मुस्तफा 2018 से मोइराबारी इलाके में मदरसा चला रहा था।
जांच में पता चला कि मुस्तफा असम में जिहाद फैलाने के लिए बांग्लादेश के आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) से पैसे ले रहा था। एबीटी के प्रमुख आतंकी अमीरुद्दीन अंसारी उर्फ हुजूर नियमित रूप से मुस्तफा के खाते में रकम हस्तांतरित करता था। मुस्तफा ने कई जिहादियों को सिम कार्ड मुहैया कराया था। अमीरुद्दीन को पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बता दें कि एबीटी भारतीय उपमहाद्वीप में आतंकी संगठन अल कायदा (एक्यूआईएस) की बांग्लादेश शाखा है। मदरसे पर छापामारी से एक दिन पहले ही
असम पुलिस ने बोंगईगांव से अब्बास अली नामक एक जिहादी को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ के बाद ही मुफ्ती की गिरफ्तारी हुई। हालांकि अब्बास से पूछताछ में मदरसे में बांग्लादेशी आतंकी महबूब रहमान के छिपे होने की भी सूचना मिली थी, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही वह फरार हो गया। मोरीगांव के करीब 7 मदरसों पर पुलिस की नजर है। ये मदरसे जिहादी संगठनों के पैसे से चलते हैं। महबूब के अलावा अबू तल्लाह, आलमगीर, अबू इस्सा सहित पांच आतंकी फरार हैं। ये सभी बांग्लादेश के हैं और 2016-17 में असम आए थे।
6 माह में 5 जिहादी मॉड्यूल का खुलासा
राज्य पुलिस ने बीते 6 माह में एक्यूआईएस द्वारा डिजाइन और एबीटी द्वारा प्रायोजित 5 जिहादी मॉड्यूल का खुलासा किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा समूह (एनएसजी) के इनपुट पर पुलिस ने इन जिहादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस समूह में एनआईए, आईबी और राज्य पुलिस की खुफिया एजेंसियां हैं। 4 मार्च, 2022 को बारपेटा जिले में पहले जिहादी मॉड्यूल का खुलासा हुआ था, जो एबीटी का स्लीपर सेल था। इस मामले में पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद सुमन उर्फ हारून राशिद उर्फ सफीकुल इस्लाम सहित छह जिहादियों को गिरफ्तार किया था।
मोहम्मद सुमन एबीटी का सक्रिय आतंकी है, जो 2018 में पश्चिम बंगाल के रास्ते असम आया और बारपेटा के जमीउल हुदा इस्लामिक अकादमी में अरबी पढ़ाने लगा। मदरसे में पढ़ाने की आड़ में वह राज्य में आतंकी संगठन के लिए आधार बनाने का प्रयास कर रहा था। कोरोना महामारी के दौरान मोहम्मद सुमन की तरह बांग्लादेश के कम से कम 6 आतंकियों ने असम में घुसपैठ की थी। ये राज्य के मुस्लिम युवकों को जिहाद और आतंकवाद की घुट्टी पिला रहे थे। मोहम्मद सुमन जिले के हाउली इलाके की एक मस्जिद में इमाम भी था। इसने असम के सिरांग जिले की एक लड़की से निकाह किया था। असम सरकार ने बड़े षड्यंत्र की संभावना के मद्देनजर आगे की जांच के लिए मामला एनआईए को सौंप दिया है।
14 अप्रैल, 2022 को पुलिस ने बारपेटा में ही एबीटी के दो मॉड्यूल का खुलासा कर एबीटी का स्लीपर सेल चला रहे 6 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से भारी मात्रा में जिहादी साहित्य बरामद हुआ था। इसी तरह, 15 अप्रैल को बोंगईगांव पुलिस ने एबीटी के तीसरे जिहादी मॉड्यूल का खुलासा कर 5 आतंकियों को गिरफ्तार किया। इसके बाद 27 जुलाई को बारपेटा में ही पुलिस ने 9 जिहादियों को गिरफ्तार कर असम में इस आतंकी संगठन द्वारा प्रायोजित स्लीपर सेल के पांचवें मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया।
इस कार्रवाई के दौरान जिहादी दीवान हाफिजुल इस्लाम को गिरफ्तार किया गया, जो कई बार बांग्लादेश का दौरा कर चुका है। वह सूबे में जिहादी मॉड्यूल और बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के बीच मुख्य कड़ी के तौर पर काम कर रहा था। वह बांग्लादेश में अपने आका से बांग्लादेश के सिम कार्ड से बातचीत करता था। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि ये जिहादी मॉड्यूल उच्च एवं परिष्कृत संचार उपकरणों का प्रयोग कर रहे थे। वे विशेष मोबाइल एप्लिकेशन उपयोग करते थे, जो भारत में उपलब्ध नहीं है। 27 जुलाई को ही बेंगलुरु पुलिस ने करीमगंज जिले से अख्तर हुसैन को गिरफ्तार किया था, जो अलकायदा में शामिल होने के लिए फूड डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहा था। वह कश्मीर के जिहादी संगठनों के संपर्क में था।
जिहाद का मदरसा मॉड्यूल
28 जुलाई को मोइराबारी में पुलिस ने जिस मॉड्यूल का खुलासा किया, वह चौथा और सबसे खतरनाक है। इस मामले में जिस मुस्तफा की गिरफ्तारी हुई है, वह एबीटी की आर्थिक मदद से मोइराबारी में मदरसा चला रहा था, जिसमें 43 छात्र पढ़ाई कर रहे थे। यह मदरसा बांग्लादेशी आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह भी था। ये आतंकी जिहाद फैलाने के लिए असम आए थे। इसी मदरसे में एबीटी का शीर्ष आतंकी आलमगीर रह रहा था, जो स्थानीय मस्जिद में इमाम भी था।
मोहम्मद सुमन और मुफ्ती मुस्तफा की गिरफ्तारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण है। मुस्तफा असम में सक्रिय जिहादी मॉड्यूल का कमांडर है। बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के शीर्ष आतंकियों के बीच संपर्क की एकमात्र कड़ी यही है। यही नहीं, मुस्तफा साइबर विशेषज्ञ भी है और राज्य में जिहादी मॉड्यूल से संपर्क के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करता है।
जांच में पता चला कि बातचीत के लिए ये जिहादी हाई एंड डार्कनेट का इस्तेमाल करते थे, ताकि सुरक्षा एजेंसियां उन तक नहीं पहुंच सकें। मुस्तफा असम और पश्चिम बंगाल में पकड़े गए जिहादी मॉड्यूल और एबीटी के शीर्ष आतंकियों के संपर्क में था। बांग्लादेश के दो आतंकियों जाकिर महती और महबूब ने नियमित रूप से मुस्तफा के खाते में पैसे भेजे। बकौल मुख्यमंत्री, इसकी पुष्टि हो गई है कि भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा का नेटवर्क खड़ा करने के लिए बांग्लादेश के 6 जिहादी असम में घूम रहे हैं। इनमें से एक मोहम्मद सुमन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। शेष 5 फरार हैं।
बांग्लादेश द्वारा तैयार इस जिहादी मॉड्यूल के सदस्य एक-दूसरे को नहीं जानते हैं। इन सभी के बीच संपर्क का एकमात्र माध्यम मुफ्ती मुस्तफा है। चिंता की बात यह है कि इन सभी कट्टरपंथी और जिहादी गतिविधियों का केंद्र मदरसे हैं। गिरफ्तार किए गए अधिकांश जिहादी किसी मदरसे से जुड़े हैं या किसी मस्जिद के इमाम हैं। अब तक की जांच के मुताबिक, जिहादी मॉड्यूल का उद्देश्य मुस्लिम युवाओं को भारत में शरिया कानून स्थापित करने के लिए विध्वंसक गतिविधियों के लिए उकसाना और कट्टरपंथी बनाना है। इन आतंकी संगठनों ने कोरोना के दौरान राज्य के मुस्लिम बहुल इलाकों में पैठ बनाने की कोशिश की। इसके लिए एबीटी ने कोविड के दौरान राज्य में सशस्त्र प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए, जिसमें साइबर सुरक्षा, छोटे हथियार प्रशिक्षण और बम बनाना सिखाना शामिल है।
बीते 21 अगस्त को गोलपारा जिले से गिरफ्तार अब्दुस सुभान और जलालुद्दीन शेख भी इमाम हैं। ये जिहादी गतिविधियों में शामिल थे। पूछताछ के दौरान इन दोनों ने खुलासा किया कि दिसंबर 2019 में इन्होंने सुंदरपुर तिलपारा मदरसा में एक मजहबी समारोह का आयोजन किया था, जिसमें एक्यूआईएस से जुड़े कई बांग्लादेशी नागरिकों को अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। शुरुआती जांच के मुताबिक, दोनों फरार बांग्लादेशी आतंकियों को रसद सहायता देने के साथ पनाह भी दे रहे थे। साथ ही, इन्होंने एक्यूआईएस से जुड़े होने और असम में स्लीपर सेल की भर्ती करने की बात कबूली है। तलाशी के दौरान दोनों आतंकियों के घर से मोबाइल फोन, सिम कार्ड और आईडी कार्ड के साथ एक्यूआईएस, जिहादी साहित्य, पोस्टर, किताबें व अन्य दस्तावेजों से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री मिली थी।
मुंबई, भोपाल और यूपी से जुड़े तार
अन्य आतंकी संगठनों के विपरीत जिहादी मॉड्यूल का उद्देश्य तत्काल आतंकी समूह बनाना नहीं है। इनका प्राथमिक उद्देश्य एबीटी और एक्यूआईएस के लिए आधार स्थापित करना है। ये मुस्लिम युवाओं को जिहाद के लिए प्रेरित और कट्टरपंथी बनाने की कोशिश करते हैं। इनका मुख्य लक्ष्य भारत में शरिया कानून स्थापित करना है। राज्य के पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत ने कहा कि खुफिया एजेंसियां को एक्यूआईएस द्वारा जारी दो वीडियो मिले हैं। इसमें जिहादियों का आका उस्मान महबूब असम में जिहाद फैलाने के लिए उकसा रहा है। बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल और असम में पैठ बनाने के लिए एक्यूआईएस बांग्ला भाषा में अपना मुखपत्र भी प्रकाशित करता है।
बहरहाल, असम पुलिस ने अब तक 31 आतंकियों को गिरफ्तार किया है। मोहम्मद सुमन और मुफ्ती मुस्तफा की गिरफ्तारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण है। मुस्तफा असम में सक्रिय जिहादी मॉड्यूल का कमांडर है। बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के शीर्ष आतंकियों के बीच संपर्क की एकमात्र कड़ी यही है। यही नहीं, मुस्तफा साइबर विशेषज्ञ भी है और राज्य में जिहादी मॉड्यूल से संपर्क के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करता है। इसने महाराष्ट्र के नंदुरबार में जामिया अक्कलकुवा, उत्तर प्रदेश के बांदा स्थित जामिया अरब हथौरा से पढ़ाई की है और 2017 में भोपाल से इस्लामिक कानून में डॉक्टरेट डिग्री ली। मोरीगांव की एसपी अपर्णा नटराजन के अनुसार, मुस्तफा अक्सर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का दौरा करता था। उसने मदरसा चलाने के लिए मुंबई के विभिन्न लोगों से मोटी रकम इकट्ठी की।
पैर जमाने की कोशिश में आतंकी
असम पुलिस खुफिया एजेंसियों के साथ लंबे समय से आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई कर रही है। सबसे पहले पुलिस ने 1999 में आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन के जिहादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, जो सूबे में अपना पैर जमाने की कोशिश कर रहा था। बाद में 2003-04 में इस्लामी आतंकी संगठन हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) और 6 साल बाद एक अन्य इस्लामिक आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के नेटवर्क का खुलासा किया था। जेएमबी ने 2011 से 2016 के बीच मुस्लिम युवाओं को अपने जिहादी मॉड्यूल में शामिल करने की कोशिश की, पर सुरक्षा एजेंसियों ने राज्य में ठिकाना बनाने के उसके प्रयासों पर पानी फेर दिया। इसके बाद 2015 और 2020 के दौरान पुलिस ने हिजबुल मुजाहिदीन के कुछ जिहादी मॉड्यूल का भी भंडाफोड़ किया। 2020 के बाद से एबीटी असम के मुस्लिम बहुल जिलों में नेटवर्क की कोशिश कर रही है।
असम पुलिस के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि अन्य आतंकी संगठनों के विपरीत, जो पहले असम में जिहादी ठिकाने स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे, एबीटी एक मॉड्यूल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहा है। यह असम में 6 से अधिक मॉड्यूल संचालित कर रहा है, ताकि एक पकड़ा जाए तो दूसरा मॉड्यूल काम करता रहे। कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ सिर्फ असम ही नहीं, देश के दूसरे राज्यों के लिए भी सिरदर्द साबित हो रही है। ये आतंकी लगातार देश में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहे हैं।
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