देश के कई राज्यों में अब सिर तन से जुदा करने के नारे लगने लगे हैं। हैदराबाद से पिछले दिनों आए वीडियो देखकर तो एक बार लगता है कि जैसे शरिया लागू है। खुलेआम हत्या की धमकी दी जा रही है। कन्हैयालाल, उमेश कोल्हे की हत्या कर दी गई।
एक सवाल यह भी है कि ये उन्मादी कट्टरपंथी क्या उन मौलानाओं के बारे में भी ऐसा कह सकते हैं। क्यों वह उन मौलवियों के खिलाफ सड़कों पर नहीं उतरते हैं जो उनकी औरतों को एक सेक्स मशीन के अतिरिक्त कुछ नहीं समझते हैं।
औरतों को सेक्स मशीन समझने वाले मौलाना जर्जिस अंसारी ने एक बार फिर औरतों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है। इस बार उसने हिंदू समाज की महिलाओं पर अशोभनीय टिप्पणी की है। सोशल मीडिया पर मौलाना जर्जिस अंसारी की टिप्पणी के खिलाफ अम्बेडकर मिशन ने जयपुर के जवाहर सर्किल थाने में परिवाद दायर कराया है। अम्बेडकर मिशन के प्रदेश संयोजक विनोद कुमार ने बताया कि हाल ही में मौलाना जर्जिस अंसारी के अधिकृत सोशल मीडिया एकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया गया है। जिसमें मौलाना सीधे-सीधे वाल्मीकि समाज की महिलाओं के लिए गलत टिप्पणी कर रहा है। मौलाना को तुरंत गिरफ्तार कर कड़ा दंड दिया जाए।
इससे पहले इसी मौलाना का एक और वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वह मुस्लिम औरतों को यह सलाह दे रहा है कि अगर किसी औरत का शौहर उसके साथ तब भी जिस्मानी सम्बन्ध बनाने की बात करता है, जब औरत ऊँट पर बैठी हो। अब इल मौलाना ने हिंदू समाज की महिलाओं पर टिप्पणी की है।
अब ऊँट पर क्यों बैठना है, यह भी जान लीजिये! यह भी मौलाना बता रहे हैं। मौलाना ने कहा कि ऊंटनी पर भी बैठी हो औरत तो भी वह मना नहीं कर सकती। ऊँट पर अरब में औरतों को क्यों बैठाया जाता था? दरअसल ऊंटनी के ऊपर बैठने का अर्थ है, औरत की गर्भावस्था का वह समय जब बच्चा एकदम बाहर आने को है और प्रसव सरलता पूर्वक हो जाए। इसी कारण गर्भावस्था के अंतिम दिनों में औरत को ऊंटनी पर अरब में बैठाया जाता था। तो मौलाना का कहना था कि अगर औरत अपनी गर्भावस्था की उस स्थिति में भी है, कि उसे ऊंटनी पर बैठाया गया है अर्थात उसकी डिलीवरी का समय भी निकट है और उस समय भी उसका शौहर यह कहता है कि वह जिस्मानी ताल्लुक करना चाहता है तो भी वह इंकार नहीं कर सकती है।
"Prophet said – A Muslim wife has to fulfil her husband's physical needs even if she is about to deliver her baby."
– Islamic Scholar giving references from Islamic texts
Hindu, Sikh, Jain, Buddh, other girls, your love shouldn't be this blind.pic.twitter.com/HCfnpkD2Bp
— Pakistan Untold (@pakistan_untold) April 28, 2022
मगर क्या यही एक मौलाना है, जो ऐसी बात कर रहे हैं? या फिर और भी ऐसी बातें कहीं गयी हैं? twitter पर सर्च करने पर और भी ऐसे वीडियो मिले जिनमें हूबहू यही बात कही गयी थी।
अंग्रेजी में भी इसी बात को कहे जाने का वीडियो एक यूजर ने साझा किया:
Even if she is riding a Camel… pic.twitter.com/LPtm81q5xv
— TheWhiskyPriest24 (@ParetoSimplifed) April 28, 2022
अब जब यह एक-दो नहीं कई प्रमाणों से प्राप्त हुआ है तो भी, औरतों के साथ होने वाली इसी मानसिकता के खिलाफ फेमिनिस्ट बोलना भी पसंद नहीं करती हैं। इस पर लोगों ने इन्टरनेट पर उपलब्ध कुछ ऐसी इस्लामिक सामग्री का उल्लेख किया जो यह स्पष्ट बता रही थीं कि यह कहा गया है। जो मौलवी कह रहा है, वह एकदम सत्य है एवं सन्दर्भ भी वह अपनी ही किताब से दे रहा है।
अर्थात इस वीडियो के अनुसार औरत किसी भी समय सेक्स के लिए इंकार नहीं कर सकती थी! उसके लिए और कोई मार्ग है ही नहीं, उसे सेक्स के लिए स्वयं को पेश करना ही है, क्योंकि बच्चा पैदा होते समय भी अगर उसके शौहर को तलब लगती है, तब भी वह इंकार नहीं कर सकती.
क्या उस समय किसी भी महिला की शारीरिक स्थिति या मानसिक स्थिति उस समय ऐसी हो सकती है कि वह अपने जिस्म की संतुष्टि के विषय में सोचे या शौहर की संतुष्टि के विषय में या फिर अपने बच्चे के विषय में? यह अजीब सी बात है, जिसका उत्तर कहीं न कहीं उन्हीं औरतों से आना चाहिए, जिनके विषय में इस प्रकार कहा गया है!
वामपंथी फेमिनिज्म इस विषय में भी मौन है
यह बहुत ही हैरानी भरी बात है कि हिन्दुओं के मंदिरों एवं साधुओं की बातों पर शोर मचाने वाली फेमिनिस्ट औरतों ने अभी तक ऐसे वीडियोज के विषय में कुछ नहीं कहा है। वह इन सब मामलों पर चुप हो जाती हैं। वह जैसे नुपुर शर्मा के मामले में चुप है। वामपंथी फेमिनिज्म जो प्रभु श्री राम और कृष्ण को स्त्री विरोधी बताता है, जबकि ऐसी कोई भी बात इन अवतारों ने नहीं कही है, फिर भी वह प्रभु श्री राम और कृष्ण को स्त्री विरोधी बताता है।
उनके लिए वह दृश्य बहुत स्त्री विरोधी है जिसमें विष्णु जी के चरण लक्ष्मी जी दबा रही हैं। वह उस स्वतंत्रता के विषय में बात नहीं करती हैं जो हिन्दू धर्म में स्त्रियों को प्रदान की गयी है और वह मौलाना के ऐसे विचारों पर शांत रहती हैं।
उनका एक भी ट्वीट या विरोध एक भी ऐसी आयत के बारे में नहीं दिखाई देता है, जो औरतों को आदमियों की खेती बताती हैं। और जो सेक्स के आधार पर औरतों को नीचा दिखाती हैं। उनके लिए घूँघट शोषण का प्रतीक है, जबकि उनके लिए नकाब, और हिजाब और बुर्का मुस्लिम और अलग पहचान का प्रतीक है। वह मजहबी स्वाभिमान का प्रतीक है।
वह माता दुर्गा को वैश्या कहने वालों को क्रांतिकारी कहती हैं, माँ सीता, द्रौपदी आदि स्त्रियों को बार-बार अपमानित करता है और जहाँ पर वास्तव में विरोध की बात आती है, वहां पर वह मौन है!
यह वीडियो जो इतना वायरल हो रहा है, इसका उल्लेख भी वामपंथी फेमिनिज्म नहीं करता है, विरोध की तो बात छोड़ ही दी जाए!
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