कांग्रेस नेताओं की नजर प्रियंका गांधी वाड्रा पर है। लेकिन राहुल गांधी चाहते हैं प्रियंका गांधी भी कांग्रेस की अध्यक्ष न बनें, बल्कि इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बने। कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व संकट वर्षों से बरकरार है। लगातार चुनावी हार और बड़े नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के कारण कांग्रेस भंवर में फंसती जा रही है।
सोनिया-राहुल के बाद कांग्रेस नेताओं की नजर प्रियंका गांधी वाड्रा पर है। लेकिन राहुल गांधी चाहते हैं प्रियंका गांधी भी कांग्रेस की अध्यक्ष न बनें, बल्कि इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बने। कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व संकट वर्षों से बरकरार है। लगातार चुनावी हार और बड़े नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के कारण कांग्रेस भंवर में फंसती जा रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर जी-23 कहे जाने वाले कांग्रेस नेताओं के समूह ने चुनाव को लेकर ‘रुको और देखो’ की स्थिति अपनाने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि समूह में शामिल नेताओं को अध्यक्ष पद से ज्यादा कांग्रेस कार्य समिति के चुनाव की चिंता है। हाल ही में गुलाब नबी आजाद और आनंद शर्मा ने प्रदेश स्तर की समितियों से इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा? क्या कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से होगा या गांधी परिवार से बाहर का? गांधी परिवार से बाहर का होगा तो किसका वफादार होगा, परिवार का या पार्टी का? ये ऐसे सवाल हैं जो इन दिनों कांग्रेस पार्टी के भीतर और बाहर, चर्चा का हिस्सा बने हुए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच जिस प्रकार की उथल-पुथल मची हुई है, उसे लेकर गांधी परिवार भी मुश्किल में है।
कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालें तो सोनिया गांधी कुछ और चाहती हैं। कांग्रेस के सामने सबसे अहम चुनौती ऐसे व्यक्ति की खोज है जो कांग्रेस में सबको स्वीकार हो और सबको साथ लेकर चल सके। कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाले और गांधी परिवार का भरोसा भी बनाए रखे। समस्या यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष का कांटों भरा ताज कौन संभाले? दूसरी तरफ कांग्रेस में इस्तीफे की राजनीति ने भी गांधी परिवार को मुश्किल में डाल दिया है। कांग्रेस कह चुकी है कि 20 सितंबर तक पूर्णकालिक कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव करा लिया जाएगा।
सोनिया-राहुल के बाद कांग्रेस नेताओं की नजर प्रियंका गांधी वाड्रा पर है। लेकिन राहुल गांधी चाहते हैं प्रियंका गांधी भी कांग्रेस की अध्यक्ष न बनें, बल्कि इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बने। कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व संकट वर्षों से बरकरार है। लगातार चुनावी हार और बड़े नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के कारण कांग्रेस भंवर में फंसती जा रही है।
मैंने हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए
कांग्रेस की संचालन समिति का
अध्यक्ष पद भारी मन से छोड़ा है।
हालांकि स्वाभिमानी होने के
कारण लगातार बहिष्कार
और अपमान को देखते हुए
मेरे पास इस्तीफा देने के
अलावा कोई विकल्प
नहीं बचा था।
— आनंद शर्मा
वरिष्ठ नेता, कांग्रेस
राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के पद स्वीकार नहीं कर रहे। उन्हें अध्यक्ष की भूमिका स्वीकार करने के लिए प्रेरित करने का हरसंभव प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं बन रही। राहुल ने 2019 के आम चुनाव में मिली हार के बाद इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने गांधी परिवार से इतर किसी कांग्रेसी नेता के अध्यक्ष बनने की वकालत भी की है। सोनिया गांधी ने भी अपने स्वास्थ्य के कारण कांग्रेस प्रमुख के रूप में अगला कार्यकाल स्वीकार करने से इनकार किया है।
सोनिया-राहुल के बाद कांग्रेस नेताओं की नजर प्रियंका गांधी वाड्रा पर है। लेकिन राहुल गांधी यह चाहते हैं कि प्रियंका गांधी भी कांग्रेस की अध्यक्ष नहीं बनें, बल्कि इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का व्यक्ति बने। कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व संकट वर्षों से बरकरार है। लगातार चुनावी हार और बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारण कांग्रेस भंवर में फंसती जा रही है। दरअसल, इस साल मार्च में सोनिया गांधी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई थी।
बैठक के दौरान सोनिया ने अपने संबोधन में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि तब वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया को चुनाव तक कांग्रेस अध्यक्ष बने रहने के लिए राजी कर लिया था। मार्च की बैठक के बाद गत मई में राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस की बड़ी बैठक हुई। इसमें कांग्रेस ने पुनरुद्धार के लिए विस्तृत रणनीतियों पर चर्चा की।
राहुल गांधी सितंबर के शुरू में कन्याकुमारी से अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू करने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक राहुल की यात्रा लंबी चलेगी। ऐसे में अगर 7 सितंबर या 20 सितंबर तक कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं होता तो कांग्रेस पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष मिलने में और देरी होने की संभावना है। कांग्रेस के आंतरिक चुनाव पहले भी टल चुके हैं। इस बीच खबर यह भी है कि 28 तारीख को सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है। वैसे पिछली बार लगभग 24 साल पहले कांग्रेस में गैर-गांधी अध्यक्ष चुना गया था। 1994 में सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे।
बाद में केसरी के साथ क्या हुआ था, इसे पुराने कांग्रेसी अच्छे से जानते हैं। राहुल गांधी पहले भी पार्टी का नेतृत्व संभालने की अनिच्छा जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने की वकालत भी की है। ऐसे में अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा और केसी वेणुगोपाल जैसे नामों की अटकलें हैं।
गांधी परिवार से बाहर किसी अन्य व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की अटकलें इसलिए भी हैं क्योंकि गांधी परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवारवादी राजनीति के विरोध के मुद्दे से सहमा हुआ है। भाजपा कांग्रेस पार्टी को परिवारवाद का उदाहरण बताती है। लाल किले से भाषण के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा कि परिवारवाद और भ्रष्टाचार देश के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा हैं।
सोनिया गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री व वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत से अध्यक्ष बनने की पेशकश की है। हालांकि गहलोत कई बार कह चुके हैं कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाया जाए। हाल ही में उन्होंने यह भी कह दिया था कि राहुल अध्यक्ष नहीं बने तो पार्टी में निराशा आएगी और कई लोग घर बैठ जाएंगे। अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की पेशकश को एक तीर से दो निशाने साधने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
एक तो यह कि राजस्थान में पार्टी के असंतोष को दबाने के लिए गहलोत को पदोन्नति देकर पार्टी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है और लगे हाथ सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद देकर नए चेहरे के साथ राजस्थान के चुनावी मैदान में उतरा जा सकता है। इस तरह पार्टी राजस्थान को भी साध लेगी और राष्ट्रीय स्तर पर किसी गैर गांधी को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस में बड़े बदलाव का सूत्रपात कर सकेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर जी-23 कहे जाने वाले कांग्रेस नेताओं के समूह ने चुनाव को लेकर ‘रुको और देखो’ की स्थिति अपनाने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि समूह में शामिल नेताओं को अध्यक्ष पद से ज्यादा कांग्रेस कार्य समिति के चुनाव की चिंता है। हाल ही में गुलाब नबी आजाद और आनंद शर्मा ने प्रदेश स्तर की समितियों से इस्तीफा दे दिया है। आजाद ने जम्मू एवं कश्मीर और शर्मा ने हिमाचल प्रदेश में बड़े पदों से इस्तीफा दिया है।
जी-23 के नेताओं का कहना है कि उन्होंने इस बात के आधार पर फैसला किया है कि उन्हें फैसले लेने की प्रक्रिया से बाहर रखा गया था और ऐसे पद लेने के लिए कहा गया था जिनके पास असल में कोई शक्ति नहीं थी। इन नेताओं का कहना है सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि पार्टी चुनाव के संबंध में कैसे आगे बढ़ती है।
वैसे एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर तैयारी चल रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस छोड़ने वालों की सूची लगातार लंबी हो रही है। हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि चाटुकारिता देश की सबसे पुरानी पार्टी को दीमक की तरह चाट रही है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे त्यागपत्र में कहा कि कांग्रेस में लिये जाने वाले फैसले जनहित और देशहित के लिए नहीं होते, बल्कि कुछ लोगों के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए होते हैं।
अपने त्यागपत्र में उन्होंने प्रवक्ता पद छोड़ने का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रवक्ता पद और प्राथमिक सदस्यता, दोनों छोड़ दी है। उनका कहना था कि उन्होंने कांग्रेस से अपने रिश्ते पूरी तरह से खत्म कर दिए हैं। पार्टी छोड़ने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी में ऐसे लोगों द्वारा फैसले किए जा रहे हैं जो चाटुकारिता में व्यस्त हैं और जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करते हैं।
हिमाचल कांग्रेस संचालन समिति अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद आनंद शर्मा लगातार पार्टी में संगठनात्मक सुधार और आंतरिक लोकतंत्र बहाल करने के लिए मजबूती से अपना पक्ष रख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि नेहरू-गांधी परिवार कांग्रेस का अभिन्न अंग बना रहे लेकिन पार्टी को समावेशी और सामूहिक सोच व दृष्टिकोण की आवश्यकता है। आनंद शर्मा बोले कि हमने 2018 में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुना लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया। हमने उनसे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा।
मैंने इस्तीफा दो कारणों से दिया है।
आज कांग्रेस पार्टी के निर्णय
जनहित में नहीं, कुछ लोगों
के हित में निर्णय लिए जा
रहे हैं। वास्तविकता से
मुंह मोड़ा जा रहा है,
जनता के मुद्दों से
मुंह मोड़ा जा रहा है।
— जयवीर शेरगिल
राष्ट्रीय प्रवक्ता, कांग्रेस
आनंद शर्मा के अनुसार यदि हम पार्टी में कुछ आंतरिक परिवर्तन लाते हैं तो कांग्रेस का नवीनीकरण और पुनरुद्धार होगा। ए ग्रुप या बी ग्रुप होने से कांग्रेस पुनर्जीवित नहीं हो सकती, क्योंकि कांग्रेस को सामूहिक रूप से पुनर्जीवित करना होगा। कांग्रेस को गुटबाजी से बाहर निकलकर एकजुट रहने की जरूरत है।
हम सब कांग्रेसी हैं लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि कांग्रेस पार्टी मजबूत रहे और लाख टके का सवाल भी यही है कि क्या कांग्रेस का नया अध्यक्ष कांग्रेस को गांधी परिवार की छाया से बाहर निकाल पाएगा? क्या कांग्रेस को एकजुट कर पाएगा? क्या नया अध्यक्ष एक के बाद एक चुनाव हार रही कांग्रेस को जीत के लिए खड़ा कर पाएगा, प्रेरित कर पाएगा?
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