केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि आईपीसी, सीआरपीसी और आईईए को आजाद भारत के नजरिए से बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
गृहमंत्री शाह ने रविवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के पहले दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित किया। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में निकट भविष्य में केंद्र सरकार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) में बदलाव करने जा रही है, क्योंकि आजादी के बाद से किसी ने भी इन कानूनों को भारत के नजरिए से नहीं देखा। इन कानूनों को स्वतंत्र भारत के नजरिए से बदलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इसके जरिए देशभर में आपराधिक न्याय व्यवस्था मजबूत होगी और सजा दर का ग्राफ भी बढ़ेगा। महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक, छह साल से अधिक की सजा वाले गंभीर अपराधों में फोरेंसिक जांच को अनिवार्य बनाना होगा। इससे ऐसे जघन्य अपराधों में दोषसिद्धि दर बढ़ाने के साथ-साथ जांच की निष्पक्षता और पारदर्शिता में वृद्धि होगी, जिसके लिए आपराधिक न्याय प्रणाली को फोरेंसिक विज्ञान के साथ एकीकृत किया जाएगा। इन आवश्यक सुधारों को करने से पहले, देशभर में फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिए आवश्यक सुविधाएं और संबंधित सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, जिसे बहुत ही कम समय में स्थापित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार देश के प्रत्येक जिले में एक फोरेंसिक मोबाइल जांच सुविधा मुहैया कराएगी और जांच की स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करेगी। गृहमंत्री ने कहा कि जब छह साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य और कानूनी बना दिया जाएगा तो आप कल्पना कर सकते हैं कि कितने फोरेंसिक विशेषज्ञ और स्नातक की आवश्कता होगी। एनएफएसयू के कोई भी स्नातक छात्र प्लेसमेंट के बिना नहीं रहेंगे।
कार्यक्रम में गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार, कानून मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जीतूभाई वघानी और गृह राज्यमंत्री हर्ष सांघवी, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित थे। छात्रों को डिग्री प्रदान करते हुए गृहमंत्री शाह ने कहा कि जिस गति से यह विश्वविद्यालय सभी आयामों में विकसित हो रहा है, उसे देखते हुए उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह विश्वविद्यालय दुनिया में नंबर-1 की स्थिति में पहुंचेगा। शाह ने छात्रों से अनुरोध किया कि वे समाज और व्यवस्था के उन्नयन के लिए काम करें और अपनी मातृभाषा में बोलना, लिखना और पढ़ना कभी न भूलें।
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