भारत और अमेरिका के बीच होने वाले साझा युद्धभ्यास को लेकर चीन का रक्षा मंत्रालय बेचैन हो गया है। उत्तराखंड में ओली के पास होने वाले इस सैन्य अभ्यास पर चीन का कहना है कि ये एल ए सी के नजदीक है जो दोनो देशों के बीच समझौते का उलंघन है।
भारत और अमेरिका के बीच 18वां साझा युद्धभ्यास अक्टूबर में होना है। उत्तराखंड में पहले भी ऐसे अभ्यास होते रहे है जोकि कुमाऊं के रानीखेत के पास चौबटिया के जंगलों में हुए थे। लेकिन इस बार ये अभ्यास गढ़वाल के ओली क्षेत्र में होगा जोकि जोशीमठ बद्री घाटी के पास है। चीन को लगता है कि ये अभ्यास एल ए सी के बहुत नजदीक हो रहा है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक भारत और चीन के बीच 1993 और 1996 को हुए समझौते के अनुसार लाइन ऑफ कंट्रोल के पास सैनिक अभ्यास नहीं होंगे और न ही दोनो देशों के सैनिक गोली चलाएंगे।
उधर भारत ने हाल की पैगोंग और डॉकलाम की घटनाओं को देखते हुए अपनी सीमा पर रणनीति में कुछ बदलाव किया है। माना जा रहा है कि इस बार भारत अमेरिका का ये साझा युद्धाभ्यास भी इसी नीति का हिस्सा है। ये भी कहा जा रहा है कि दोनो देश इस बार हिमालय के हाई एटीट्यूट पर अपने सैनिकों के साथ अभ्यास करेंगे जो कि अभी तक शिवालिक क्षेत्र में हुआ करता था। भारत की तरफ से ये दलील भी दी गई है कि युद्धभ्यास क्षेत्र चीन सीमा से बहुत दूर है लिहाजा ये किसी मर्यादा का उल्लंघन नहीं कहा जाना चाहिए।
रक्षा मामलो के जानकर कर्नल बी रौतेला कहते है कि चीन के बयान कूटनीति वाले और दबाव बनाने की नियत से दिए जाते है। भारत को अपनी सुरक्षा की दृष्टि से इसकी परवाह नही करनी चाहिए।
बरहाल भारत ने इस अभ्यास की अपनी प्रारम्भिक तैयारियां शुरू कर दी है, अमेरिकी सैनिकों के लिए भी जरूरी सुविधाएं जुटाने का काम भी शुरू हो गया है।
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