पश्चिम बंगाल में TMC नेता अनुब्रत मंडल पर ज्यूडिशियरी को धमकाने के आरोप हैं. गोतस्करी के आरोपी मंडल को जबरन जमानत दिलाने के लिए ज्यूडिशियरी को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है. इसे देखते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट और जिला कोर्ट के 100 से अधिक वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है, जिसमें वकीलों के समूह की ओर से मुख्य न्यायाधीश से अनुब्रत मंडल के मामले की सुनवाई राज्य के बाहर कराने की मांग की है. वकीलों के समूह ने पत्र में लिखा है की जिस तरह से तस्करी के मामले में गिरफ्तार टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल को जबरन बेल दिलाने के लिए ज्यूडिशियरी को धमकाने और प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है, ऐसे में कानून का राज स्थापित रखना संभव नहीं है. अनुब्रत मंडल के केस को बंगाल के बाहर स्थानांतरित किया जाना आवश्यक है. राज्य में ज्यूडिशियरी के कामकाज को लगातार प्रभावित किया जा रहा है. इससे अधिवक्ता समाज स्तब्ध और सहमा हुआ है.
जज को भेजा गया था धमकी भरा पत्र
बता दें कि हाल ही में आसनसोल में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट के जज राजेश चक्रवर्ती को किसी बप्पा चटर्जी नाम के व्यक्ति द्वारा धमकी भरा पत्र भेजा गया. पत्र में कहा गया कि यदि विशेष सीबीआई कोर्ट के जज राजेश चक्रवर्ती ने पशु तस्करी केस में पकड़े गए अनुब्रत मंडल को जमानत नहीं दी तो जज के परिवार के लोगों को नारकोटिक्स बरामदगी दिखाकर NDPS केस में जबरन फंसाया जाएगा. वकीलों ने पत्र ने इस बात का भी जिक्र करते हुए लिखा है कि अनुब्रत मंडल टीएमसी के ताकतवर और रसूखदार नेता हैं. वह टीएमसी में वीरभूम जिले के पार्टी अध्यक्ष भी है. वह पहले भी अपने प्रभाव का नाजायज इस्तेमाल करते रहे हैं. वकीलों ने पत्र की प्रति केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू और बंगाल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजकर गुहार लगाई है.
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