नेपाल सरकार ने चीन के आर्थिक चक्रव्यूह से बाहर निकलते हुए दो पावर प्रोजेक्ट भारत को सौंप दिए हैं। सेती नदी पर बनने वाले इन दोनों हाइड्रो प्रोजेक्ट का पहले चीन से एमओयू हुआ था।
नेपाल भी श्रीलंका की तरह चीन की आर्थिक नीतियों को पहचान गया है। नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए पश्चिम क्षेत्र में हिमालय से निकलने वाली सेती नदी पर प्रस्तावित सेती स्टोरेज हाइड्रो पावर और सेती हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को भारत की कम्पनी एनएचपीसी को दे दिया है। इस पावर प्रोजेक्ट पर पहले नेशनल हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन सर्वे करके इसकी रिपोर्ट नेपाल सरकार को देगा।
जानकारी के मुताबिक भारत की मोदी सरकार चाहती है कि इस पावर प्रोजेक्ट से बनने वाली बिजली भी दोनों देशों के काम आए। इससे नेपाल की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल की संसद को जब संबोधित किया था तो उन्होंने कहा था कि नेपाल के पानी की बिजली से दोनों देशों को फायदा हो सकता है, नेपाल की आर्थिक स्थिति में इससे बड़ा इजाफा हो सकता है।
इसके बाद भारत की कंपनियों एसजेवीएनलि और जीएमआर ने नेपाल में 900 और 679 मेगावाट के प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। साथ ही पंचेश्वर हाइड्रो प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू किया। सेती जल विद्युत परियोजनाएं 750 और 750 मेगावाट की है। एनएचपीसी के प्रबंध निदेशक अभय कुमार सिंह के मुताबिक इन दोनों प्रोजेक्ट्स के मिलने से उनका संस्थान खासा उत्साहित है। भारत नेपाल मित्रता की ये एक महत्वपूर्ण कड़ी है। नेपाल इन्वेस्टमेंट बोर्ड के प्रमुख सुशील भट्टा के बताया कि ये 2.4 बिलियन डॉलर के खर्च वाली परियोजनाएं हैं, जिस पर भारत की एनएचपीसी काम करेगी।
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