तालिबान ने जासूसी के आरोप में एक अमेरिकी और एक अफगानिस्तानी फिल्म निर्माता को हिरासत में ले लिया है। उन पर आरोप लगाया गया है कि वे अल जवाहिरी के गुप्त ठिकाने की जासूसी कर रहे थे, उन्हीं की वजह से वह आतंकी सरगना मारा गया है। इस बात का खुलासा न्यूयॉर्क के एक मीडिया वॉचडॉग ने किया है। उसी ने इन दोनों फिल्म निर्माताओं के तालिबानी गिरफ्त में होने की जानकारी दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, गत 17 अगस्त को अमेरिकी पत्रकार और फिल्म निर्माता शीयरर तथा अफगानी फिल्मकार फैजुल्ला फैजबख्श अफगानिस्तान के काबुल में जिला 10 के शेरपुर क्षेत्र में फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। यही वह जगह बताई जा रही है जहां अल कायदा का आतंकी सरगना कुख्यात अल जवाहिरी अमेरिकी ड्रोन हमले में हलाक हुआ था।
न्यूयार्क के उक्त वॉचडॉग के अनुसार, तालिबान के सुरक्षाकर्मियों ने दोनों फिल्मकारों को शूटिंग करने से रोकने के बाद उनसे उनके मकसद के बारे में पूछताछ की। उनके ‘वर्क परमिट’ की पड़ताल की। उनके पहचान पत्र, पासपोर्ट और मोबाइल फोन खंगाले गए। तालिबानी उन्हें अमेरिकी जासूस बताने लगे। इसके बाद 50 तालिबानी बंदूकधारी शीयरर और फैजबख्श को हिरासत में लेकर आंखों पर पट्टी बांधकर किसी अनजान जगह ले जाया गया। सुरक्षा अधिकारियों ने इस हिरासत के बारे में तालिबान के गुप्तचर विभाग को जानकारी दे दी है।
अफगानिस्तान में तालिबान के राज में यूं भी मीडियाकर्मियों और पत्रकारों के काम में अड़चनें डाली जाती रही हैं। गत एक वर्ष के अंदर वहां की कट्टर मजहबी तालिबान सरकार ने 122 पत्रकारों को हिरासत में लिया है। इधर अमेरिकी पत्रकारों ने इस संबंध में पत्रकार सुरक्षा समिति से संपर्क करके उक्त पत्रकारों की रिहाई की मांग उठाई है।
पता चला है कि अमेरिकी पत्रकार और फिल्मकार शीयरर गत फरवरी माह में एक महीने के वीसा पर अफगानिस्तान आए थे। शूटिंग के लिए तालिबान के विदेश मंत्रालय ने उन्हें ‘वर्क परमिट’ दिया था। उनके वृत्तचित्र का विषय है पिछले 40 साल में अफगानिस्तान में आए बदलाव। मार्च 2022 में उनका ‘वर्क परमिट’ एक साल के लिए बढ़ाया गया था। लेकिन तालिबान का गुप्तचर विभाग शीयरर को लेकर शक करता रहा था। इसी वजह से उनकी फिल्म और उसकी शूटिंग को लेकर नए सिरे से सवाल-जवाब किए गए थे जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
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