उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी और वामपंथी दल ने एक साथ मंच साझा करके नए राजनीतिक गठजोड़ के संकेत दिए हैं। इस मंच में वक्ताओं ने सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई एक साथ लड़ने का एलान किया है।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में वामपंथी समाजवादी एकता विषय पर आयोजित गोष्ठी को सपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित किया गया। समाजवादी पार्टी के मुख्य कक्ष में अखिलेश सिंह के बैनर को छुपाते हुए, वामपंथी समाजवादी एकता के बैनर को लगा कर आयोजकों ने उत्तराखंड में नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे दिया। सपा और वामपंथी नेताओं ने गोष्ठी के बहाने बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार को जमकर कोसा और कहा कि देश में लगातार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में अगले स्थानीय निकाय और लोकसभा चुनाव में ये दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। मैदानी क्षेत्रों में मुस्लिम वोट बैंक पर सपा की नजर रहती है, जबकि पहाड़ों में उसका कोई जनाधार नहीं है। वामपंथी दल पहाड़ों पर मुस्लिम आबादी के बढ़ते असर पर नजर डालें हुए है। उन्हें लगता है कि वामपंथी विचारधारा और मुस्लिम वोट मिलकर नया राजनीतिक समीकरण बना सकते हैं। इसीलिए दोनों विचारधाराएं मिलकर भविष्य की राजनीति के ताने बाने बुनने लगी हैं। राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि यूपी में भी ये गठजोड़ बन सकता है। हालांकि मैदानी क्षेत्रों में इस गठजोड़ का कोई लाभ दिखाई नहीं देता है।
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