बिहार के पूर्णिया प्रमंडल में हिंदुओं पर अत्याचार सबसे अधिक होने लगे हैं। हालत यह है कि जिहादी तत्व हिंदुओं को मुस्लिम-बहुल इलाकों से भगाने के लिए कई तरह के तरीके अपना रहे हैं। इनमें एक बड़ा तरीका है जमीन जिहाद। कुछ गुंडों की मदद से हिंदुओं की जमीन पर कब्जा कर लिया जाता है और जो लोग इसका विरोध करते हैं, उन्हें मारा-पीटा जाता है। हाल ही में एक ऐसी घटना किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड के तेघरिया गांव में हुई है। इस गांव में एक ही हिंदू परिवार है।
घटना के संबंध में कहा जा रहा है कि श्यामलाल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपने घर के बाहर बैठे थे। उसी समय गांव का दबंग हामिद अपने दोस्तों के साथ कहीं जा रहा था। श्यामलाल को देखते ही हामिद जातिसूचक गालियां बकने लगा। इसका विरोध श्यामलाल की पत्नी कविता ने किया। उस समय तो हामिद देख लेने की धमकी देकर चला गया, लेकिन कुछ देर बाद मुसलमानों की एक भीड़ के साथ वह फिर से आ धमका। भीड़ ने श्यामलाल, उनकी पत्नी कविता और बेटी सुधा रानी पर जानलेवा हमला कर दिया। भीड़ यहीं नहीं रुकी। कुछ लोग कविता और सुधा को घसीटते हुए हामिद के दरवाजे पर ले गए। वहां उन दोनों को जमकर पीटा गया और अश्लील हरकतें की गईं। श्यामलाल ने हमलावरों के खिलाफ पुलिस में शिकायत की, पर किसी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई है। इस कारण अभी भी श्यामलाल को धमकी मिल रही है।
कहा जा रहा है कि इस विवाद के मूल में जमीन जिहाद है। इस प्रखंड में लगभग 46 डिसमिल जमीन (ऽाता संख्या 153, ऽेसरा संख्या 1169/1551) है। यह जमीन श्यामलाल के पिता स्व- चौतलाल और अन्य के नाम से दर्ज है। हमीद और उसके गुर्गों की नजर इसी जमीन पर है। श्यामलाल कहते हैं, ‘‘गांव के मुसलमान रास्ते के नाम पर मेरी जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। ऐसा नहीं करने देने पर वे लोग मुझे और मेरे परिवार को प्रताड़ित करते हैं।’’
श्यामलाल ने बताया कि परेशान करने के लिए बराबर उनके घर के बाहर मनुष्य और जानवरों का मल-मूत्र फेंक दिया जाता है। कई बार तो मरे जानवर (जैसे बकरी, मुर्गी, बछड़ा) भी फेंक दिए जाते हैं। रोकने का मतलब है पिटाई और गाली को निमंत्रण देना।
श्यामलाल के साथ जो हो रहा है, उसके पीछे हामिद, शाहिद, मंजर आलम, अली अकबर जैसे लोग हैं। ये लोग बराबर श्यामलाल से कहते हैं कि घर और जमीन छोड़कर भाग जाओ, नहीं तो तुम्हारी बेटियों के साथ भी वही होगा, जो तुम्हारी भतीजी के साथ हुआ था। बता दें कि 2017 में श्यामलाल की भतीजी रेणुका का अपहरण गांव के ही कुछ लोगों ने कर लिया था। बाद में उसे मुसलमान बनाकर अख्तर आलम के साथ निकाह करवा दिया गया। रेणुका अभी भी उसी गांव में रहती है। श्यामलाल और उसके परिवार के लोग रेणुका कोे घुट-घुट कर जीते हुए देखते हैं। श्यामलाल के तीन बेटे और तीन बेटियां हैं। इनको डर है कि जिहादी कहीं उनकी बेटियों का हश्र भी रेणुका की तरह न कर दें।
श्यामलाल के अनुसार दरअसल गांव के कुछ कट्टरवादी मुसलमान चाहते हैं कि यहां कोई हिंदू परिवार न रहे। इसलिए ये लोग हिंदुओं पर दबाव डालते हैं कि घर और जमीन छोड़कर भाग जाओ। ऐसे ही तत्वों ने कुछ वर्ष पहले कटिहार जिले में मंजुलदास के साथ भी यही किया था। जब वे गांव छोड़कर नहीं गए तो उनके घर में आग लगा दी गई थी।
कट्टरवादियों की पिटाई से श्यामलाल की बहुत ही बुरी स्थिति है। उन्हें बराबर अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। कभी उनकी तबियत ठीक हो जाती है, तो कभी इतनी खराब हो जाती है कि परिवार के लोग परेशान हो जाते हैं।
दुर्भाग्य से पुलिस-प्रशासन उनकी नहीं सुनता है। इस कारण कोचाधामन का तेघरिया गांव पूरी हिंदू-विहीन होने की स्थिति में है।
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