करीब 38 साल पहले भारत के सबसे ऊंचे सीमांत क्षेत्र सियाचिन में बलिदान हुए लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर बर्फ में दबा हुआ मिला है। उनके पार्थिव शरीर को आज यहां लाया जा रहा है, जहां चित्रशिला घाट पर सैनिक और राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जाएगी।
Indian Army finds mortal remains of missing soldier after 38 years
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— ANI Digital (@ani_digital) August 16, 2022
बलिदानी चंद्रशेखर हरबोला के आवास पर अचानक फिर से भावुक माहौल हो गया है। उनकी पत्नी शांति देवी को इस खबर की कोई उम्मीद नहीं थी। रानीखेत आर्मी केंद्र से उन्हे जब ये जानकारी मिली तो वे कुछ क्षण के लिए बेसुध हो गईं। 1984 में उनके पति के बलिदान होने की खबर आई थी। उस समय सेना में पार्थिव शरीर घर ले कर आने की परंपरा भी नहीं थी, केवल सूचना आती थी। कारगिल युद्ध के बाद ताबूत में पार्थिव देह घर तक लाए जाने की परंपरा तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने शुरू करवाई थी।
शांति देवी ने उस दौर को याद करते हुए बताया कि तब आज की तरह सेना में किसी से बात करना भी संभव नहीं था। उस वक्त जब खबर आई तब से ये अधूरापन रहता था कि मैं उनको अंतिम समय में देख तक नहीं सकी, लेकिन किस्मत में ऐसा लिखा था और आज वो घर आ रहे हैं, मेरा तो ये मानना है कि वो आज तक सियाचिन में देश की रखवाली करते रहे हैं। बलिदानी लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला की छोटी बेटी बबीता की उम्र अब 42 साल है। जिस समय उनके पिता बलिदान हुए थे उस समय वह काफी छोटी थीं, लेकिन अब उन्हें इस बात का गर्व है कि वह उस व्यक्ति की बेटी हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर की है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि उनके पिता का पार्थिव शरीर सियाचिन में अपनी ड्यूटी आज भी निभा रहा।
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हरबोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांस नायक थे। वह 1975 में सेना में भर्ती हुए थे। 1984 में भारत-पाकिस्तान के बीच सियाचिन के लिए युद्ध लड़ा गया था। भारत ने इस मिशन का नाम ऑपरेशन मेघदूत रखा था। भारत की ओर से मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के लिए 20 सैनिकों की टुकड़ी भेजी गई थी। इसमें लांस नायक चंद्रशेखर भी शामिल थे। सभी सैनिक सियाचिन में ग्लेशियर टूटने की वजह से इसकी चपेट में आ गए, जिसके बाद किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही।
भारत सरकार और सेना की ओर से सैनिकों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसमें 15 सैनिकों के पार्थिव शरीर मिल गए थे, लेकिन पांच सैनिकों का पता नहीं चल सका था। रविवार को रानीखेत स्थित सैनिक ग्रुप केंद्र की ओर से बलिदानी चंद्रशेखर हरबोला के परिजनों को सूचना भेजी गई कि उनका पार्थिव शरीर सियाचिन में मिला है। उनके हाथ में बंधे ब्रेसलेट से उनकी पहचान हो पाई। बलिदानी हरबोला के साथ एक और सैनिक का पार्थिव शरीर मिलने का सूचना मिली है, जिनकी पहचान की जा रही है।
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बलिदानी हरबोला के परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि सेना द्वारा 38 साल बाद बलिदानी चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर खोज कर, हम पर एक और अहसान किया है। आज उनका अंतिम संस्कार करके उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि वे उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।
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