रामपुर में अप्रैल 2021 में पुलिस और शराब तस्करों के बीच हुई मुठभेड़ फर्जी निकली। डीआईजी ने मुख्यमंत्री कार्यालय से आई एक जांच में एसपी शगुन गौतम और ग्यारह अन्य पुलिसकर्मियों को जांच में सबूतों के आधार पर दोषी पाया है।
जानकारी के मुताबिक 6 अप्रैल 2021 को एसपी और उनकी एसओजी की टीम ने एक मुठभेड़ में तीन शराब तस्करों को गिरफ्तार कर उनके पास से 35 लाख की अंग्रेजी शराब बरामद की थी, जिसे एक टैंकर में लाया जा रहा था। इस मामले में एसपी शगुन गुप्ता ने संजीव गुप्ता और दो अन्य को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद सजीव गुप्ता ने इस सारे मामले को फर्जी बताते हुए अपनी बेगुनाही के सबूत अधिकारियों को दिखाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक अपनी शिकायत पहुंचाई।
इसकी जांच डीआईजी शलभ माथुर ने शुरू की और संजीव गुप्ता से बयान और सबूत लिए। जिसमें ये पाया गया कि संजीव को एसओजी की टीम उनके घर से चार अप्रैल को ले गई थी, जिसकी वीडियो फुटेज सीसीटीवी कैमरे में कैद थी। साथ ही संजीव और एसपी शगुन की कॉल भी रिकॉर्ड हुई जिसमें वो 10 लाख रुपए दिए जाने की मांग कर रहे थे। संजीव को कैमरी और मिलक थाने में दो दिन रखा गया और 6 अप्रैल को मुठभेड़ दिखा दी गई। तमाम सबूतों के आधार पर पुलिस उप महानिरीक्षक ने मुठभेड़ को फर्जी मानते हुए मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई है और अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। जानकारी के मुताबिक सभी ग्यारह पुलिस कर्मियों को निलंबित किया जा रहा है और एसपी के खिलाफ भी कार्रवाई की विधिक राय ली जा रही है।
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