सोशल मीडिया पर साझा किए गए अनेक वीडियो ऐसे हैं जिनमें महिलाओं के विरोध को पुरुष भी समर्थन दे रहे हैं। वे भी हिजाबी कानून के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। वीडियो में महिलाएं सिर पर ढके स्कार्फ और ओढ़नी को दूर फेंकते हुए देखी जा सकती हैं। बहुतों ने तो बिना सिर ढके सड़कों, पार्कों, रेस्टोरेंट आदि में अपने वीडियो बनाकर साझा किए हैं।
ईरान इन दिनों हिजाब के सवाल पर सुलग रहा है। वहां महिलाओं ने तूफान खड़ा किया हुआ है कि ‘अब बहुत हुआ, अब हम हिजाब से सिर नहीं ढकेंगे’। वे सिर्फ आवाज ही बुलंद नहीं कर रही हैं बल्कि कड़ी सजा का खौफ भुलाकर बिना हिजाब के सार्वजनिक जगहों पर घूमते हुए अपने फोटो और वीडियो भी साझा कर रही हैं। ईरान के हजारों सोशल मीडिया हैंडल्स इन वीडियो को आग की तरह फैला रहे हैं। ईरान की रूढ़िवादी सत्ता इससे बेहद परेशान है। हिजाब पहनना वहां ‘मजहबी बाध्यता’ है जिसका सदियों से कड़ाई से पालन कराया जाता रहा है। लेकिन इन दिनों सत्ता की लगाम फिसलती प्रतीत हो रही है। बेहिजाब घूमने वाली महिलाओं, युवतियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के बावजूद हिजाब विरोधी उफान थमने का नाम नहीं ले रहा है।
शिया बहुल ईरान में महिलाओं ने हिजाब ओढ़ने के कानूनी फरमान के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। वायरल हो रहे वीडियो में अनेक महिलाएं बालों को बिना ढके तस्वीरें खींचती दिख रही हैं और अपनी ‘आजादी’ का जश्न सा मनाती नजर आ रही हैं। उनका कहना है कि अब महिलाएं अपने हक के लिए सड़कों पर उतरी हैं। अब वे हिजाबी कानून को मानने को तैयार नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि शिया सत्ता वाले ईरान के कानून के अनुसार, महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर हिजाब से अपना सिर ढकना जरूरी है। प्रशासन ने अपनी इस रीति को और मजबूत करने के लिए 12 जुलाई का दिन ‘हिजाब और शुद्धता दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। बस इसी से महिलाओं को गुस्सा आ गया और वे विरोध स्वरूप खुला सिर लिए सड़कों पर उतर आई।
‘महिलाएं न घूमें’, ये ‘इस्लाम में हराम’
पाकिस्तान में एक नए ‘फतवे’ को लेकर खासी चर्चा छिड़ी है। महिलाओं के अधिकारों पर वहां लगातार लगाम कसी जा रही है, यह इसका एक और सबूत है। पाकिस्तान में एक कबाइली इलाके की जिरगा यानी कबाइली पंचायत ने अपने क्षेत्र में शरिया के तहत एक तालिबानी फरमान जारी करके महिलाओं के मन बहलाव के लिए घूमने जाने पर रोक लगा दी है।
‘इस्लामी उसूलों’ पर चलने वाली इस जिरगा ने कहा है कि इस्लाम में महिलाओं का मनोरंजन या पर्यटन के लिए घूमने जाना ‘हराम’ है, लिहाजा वे घर से बाहर इसके लिए कदम न रखें। ऐसा करना इस्लाम की मुखालफत माना जाएगा। महिला अधिकारों को कुचलने और उनके सम्मान से जीना हराम करने के लिए कुख्यात पाकिस्तान में इस नए ‘फतवे’ को लेकर महिलाओं में एक तनाव जैसा पैदा हो गया है।
दिलचस्प बात तो ये है कि सोशल मीडिया पर साझा किए गए अनेक वीडियो ऐसे हैं जिनमें महिलाओं के विरोध को पुरुष भी समर्थन दे रहे हैं। वे भी हिजाबी कानून के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। वीडियो में महिलाएं सिर पर ढके स्कार्फ और ओढ़नी को दूर फेंकते हुए देखी जा सकती हैं। बहुतों ने तो बिना सिर ढके सड़कों, पार्कों, रेस्टोरेंट आदि में अपने वीडियो बनाकर साझा किए हैं।
इस सबसे बौखलाकर रूढ़िवादी ईरान सरकार ने पुलिस और सुरक्षाबलों को मैदान में उतारा है और उनसे हिजाब का पालन कराने को कहा है। फौजी भी कड़ाई बरतते हुए महिलाओं को जबरन हिजाब पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन तो भी महिलाओं के विरोध के स्वर मुखर होते जा रहे हैं। ईरान सरकार ने ‘दिमाग को दुरुस्त’ करने की गरज से सरकारी टेलीविजन चैनल पर हिजाब के पक्ष में वीडियो का प्रसारण करवाया। इस वीडियो में 13 महिलाएं हरे हिजाब और सफेद कपड़े पहने दिखाई गर्इं। इतना ही नहीं, वे कुरान की आयतें पढ़ती दिखाई गईं। लेकिन सरकार के इस पैंतरे से लोग और चिढ़ गए। सरकारी टीवी पर ऐसे सरकारी शोशे के विरुद्ध सोशल मीडिया पर जमकर लानतें भेजी गईं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में हिजाब विरोधी आंदोलन तेजी पकड़ सकता है। सरकार ने अगर ज्यादा सख्ती बरती तो हो सकता है, चीजें हाथ से निकल जाएं। उधर महिलाएं भी ‘अब नहीं तो कभी नहीं’ के मूड में दिखती हैं। महिला संगठन इस मुद्दे पर लामबंद हैं और झुकने को तैयार नहीं हैं।
भारत में ‘भाड़े’ का बतंगड़
ईरान में आज हिजाब को लेकर जो चल रहा है और जिस तरह वहां इसके विरुद्ध महिलाएं लामबंद हुई हैं, जरा उसकी तुलना भारत में मजहबी कट्टरपंथियों द्वारा उकसाए हिजाबी आंदोलन से करें! कर्नाटक उच्च न्यायालय तक की टिप्पणी और आदेश को न मानने वाली जमात मुस्लिम लड़कियों को पैसे व अन्य चीजों का कथित लालच देकर हिजाब को ‘इस्लाम का अनिवार्य अंग’ कहलवाती घूम रही है। भारत के कट्टर सोच वाले मुस्लिम और सेकुलर राजनीतिक दल इस उन्माद को हवा देते हैं।
भारत में तो हिजाबी जमात की कलई तभी खुल गई थी जब यह तथ्य सामने आया था कि इस उन्माद को भड़काने के पीछे पीएफआई और एसडीपीआई सरीखे कट्टर मजहबी गुट शामिल हैं। मुस्कान नाम की जिस लड़की को ‘आदर्श’ और ‘हीरो’ कहकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया था उसकी असलियत भी सामने आ गई कि उसे यह सब करने को पैसे दिए गए थे।
इस सबका एक और दुखद पहलू यह भी रहा कि मुस्लिम समुदाय की जो लड़कियां हिजाबी उन्माद से इतर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहती थीं, उनके भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगवाने से ये तत्व बाज नहीं आए। कर्नाटक से शुरू हुआ उन्माद, देश के अन्य स्थानों में भी फैलाने की बेशर्म कोशिश की गई। सेकुलर दलों द्वारा इस बहाने केन्द्र सरकार का घेरने को अभियान भी चलाया गया।
सवाल है कि ईरान की ही तरह, क्या अफगानिस्तान की महिलाएं बुर्के रूपी लबादे और हिजाब में खुद को आजाद पाती हैं! या फिर पाकिस्तान की ही तरक्कीपसंद महिलाएं 21वीं सदी में इसे उचित मानती हैं? खुद को मुस्लिम जगत का रहनुमा मान बैठे पाकिस्तान में तो महिलाओं के अधिकारों का आए दिन दमन किया जा रहा है। वर्ल्ड इंडैक्स में अगर किसी देश में महिलाओं की स्थिति सबसे खराब है तो वह पाकिस्तान ही है।
ईरान से महिलाओं ने जो आवाज बुलंद की है, उसकी गूंज कुछ दूसरे तथाकथित इस्लामी देशों में भी सुनाई देने लगी है। कट्टर सोच मुस्लिम महिलाओं के स्वर को कितने दिन दबा पाएगी, यह वक्त ही बताएगा।
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