गृह मंत्रालय के अनुसार, देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में गिरावट आई है। 2014 में ऐसे जिलों की संख्या 70 थी जो 2021 में घटकर 46 रह गई है। संसद में गृह राज्य मंत्री ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं 2014 में 1091 थीं वो 2021 में घटकर 509 रह गई है। हमलों में मरने वालों की संख्या में भी 85% की कमी आई है। वहीं केंद्र सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा से संबंधित खर्च, विशेष बुनियादी ढांचा विकास योजना सहित और भी अन्य तरह की सहायता योजनाएं चला रही है, जिससे घटनाओं में भारी कमी आई है।
केन्द्र राज्य सरकारों को 2014-15 से अबतक 2,302 करोड़ रुपए जारी कर चुका है। 2017-18 से स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 250 पुलिस स्टेशन, स्पेशल फोर्सेज़ के अपग्रेडेशन और स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच स्थापित करने के लिए 991,04 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं। स्पेशल सेंट्रल एसिस्टेंस स्कीम के तहत सरकार ने राज्य सराकरों को 3,085,74 करोड़ रुपए जारी किए हैं। इनके अलावा मई 2014 के बाद से रोड रिक्वायरमेंट प्लान-1 स्कीम के 2,134 किलोमीटर सड़क निर्माण किया गया है। इनमें गया में 205 किलोमीटर और औरंगाबाद में 116 किलोमीटर का सड़क निर्माण शामिल है।
वहीं रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12,082 किलोमीटर सड़क निर्माण प्रोजेक्ट के लिए 11,780 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इनमें 6,274 किलोमीटर सड़क निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है, जिनमें बिहार के गया में 196 किलोमीटर और औरंगाबाद में 237 किलोमीटर का निर्माण शामिल है। इनके अलावा 47 एलडब्ल्यूई प्रभावित ज़िलों में स्किल डेवलपमेंट स्कीम के तहत 40 इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (आईटीआई) और 61 स्किल डेवलपमेंट सेंटर (एसडीसी) बनाए गए हैं। मई 2014 के बाद आठ आईटीआई और छह एसडीसी स्थापित किए गए हैं। इनमें गया और औरंगाबाद में एक आईटीआई और दो एसडीसी बनाए गए हैं। ऐसे ज़िलों में 32 केन्द्रीय विद्यालय और 9 जवाहर नवा विद्यालय खोले गए हैं। गया में दो केन्द्रीय विद्यालय (केवी) और दो जवाहर नवा विद्यालय (जेएनवी) का का पूरा कर लिया गया है। वहीं औरंगाबाद में एक जेएनवी और दो केवी का स्थापित किए गए हैं।
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