चीन की पाकिस्तान के साथ मिलकर चल रही महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारा परियोजना को भारत ने कभी स्वीकार और मान्य नहीं किया है और इसके विरुद्ध अपना मत अनेक अवसरों पर व्यक्त किया है। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि चीन अपनी चालाक चालें चलते हुए कुछ अन्य देशों को भी इस परियोजना से जोड़ने की तैयारी में है। अत: कल भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में फिर से कहा है कि भारत इस परियोजना में तीसरे पक्ष को शामिल करने को कभी मान्य नहीं कर सकता।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट करके कहा कि हमने तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की प्रस्तावित भागीदारी को आकर्षित करने संबंधी रिपोर्ट देखी हैं। किसी भी पक्ष द्वारा इस तरह की कोई भी कार्रवाई सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन मानी जाएगी। भारत ऐसी किसी भी हरकत को अवैध मानते हुए ही आगे व्यवहार करेगा।
इस बयान के माध्यम से भारत ने एक बार फिर से चीन और पाकिस्तान को याद दिलाया है कि आर्थिक गलियारे का निर्माण का निर्माण वैध नहीं है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है वह तथाकथित सीपीईसी परियोजना का पूरी दृढ़ता के साथ विरोध करता आ रहा है। यह पाकिस्तान द्वारा अवैध तौर पर कब्जाई भारतीय जमीन पर बनाई जा रही है। यह स्वीकार्य नहीं है।
उल्लेखनीय है कि चीन तथा पाकिस्तान के बीच निर्माणाधीन इस परियोजना में अब तीसरे पक्ष को भी जुड़ने का पैगाम भेजा गया है। इस मौके पर भारत की तरफ से जताई गई कड़ी आपत्ति भारत का मत व्यक्त करती है। विदेश मंत्रालय इस पूरी सीपीईसी परियोजना को मूलत: अवैध ही मानता है।
विदेश मंत्रालय का यह बयान उन खबरों के संदर्भ में आया है, जिनमें कहा गया है कि पाकिस्तान और चीन ने अरबों डॉलर की सीपीईसी परियोजना में और कई देशों को जुड़ने न्योता भेजा है। बताते हैं पिछले सप्ताह हुई अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं समन्वय पर सीपीईसी के संयुक्त कार्यबल की तीसरी बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
दरअसल, जैसा पांचजन्य पहले बता चुका है, चीन व पाकिस्तान अब इस विवादित आर्थिक गलियारे को अफगानिस्तान तक ले जाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं और दोनों देशों ने इस बारे में एक खाका भी तैयार किया है। यह बात अब पुख्ता तौर पर सामने आई है कि अब तीसरे पक्ष को भी गुपचुप इस परियोजना से जोड़ने की रणनीति बना ली गई है और उस पर अमल भी शुरू हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि चीन अफगानिस्तान के अरबों डॉलर के प्राकृतिक संसाधन हड़पना चाहता है। यही नहीं चीन चाहता है कि वह अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशिया के अन्य देशों तक अपनी पहुंच बनाए। पाकिस्तान के विदेश विभाग का ताजा बयान कहता है कि सीपीईसी एक बड़ा बदलाव लाने वाली परियोजना है। यह क्षेत्र की स्थिरता के लिए, आपसी सहयोग तथा साझा विकास की अगुआ है।
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